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मित्रों...,
प्रकृति
की
संतान
कर रही पुकार
अब तो सुन ले मेरे
य़ार...!!!

वैसे भी कहा जाता हैं कि
इंसान से ज्यादा खतरनाक जानवर भी नहीं होता क्योंकि वो तो सिर्फ़ अनजाने में या
अपनी फ़ितरत के चलते मनुष्य पर वार करता हैं जबकि हम तो जान-बुझकर अपना काम बनाने
के लिये किसी की भी पीठ पर धोखे का छुरा चलाने से बाज नहीं आते हमारी इस मानसिकता के चलते हमने धरती-आकाश किसी
को भी नहीं छोड़ा । जंगल हो या श्मशान हर जगह हमारे आश्रय बनाते जा रहे हैं और
हम बड़े मजे से खुद का सर छुपाने के लिये उन निरीह जन्तुओं के पांव रखने की जमीन भी
छीनते जा रहे हैं ऐसे में जब वो हमारे यहाँ आ जाते हैं तो हम उसे ही दोषी ठहराते
हैं और ये भूल जाते हैं कि गलती उनकी नहीं जो वो निर्जन स्थान से हमारी बस्तियों
में आ गये बल्कि हम ही ने तो उनको बख्शी गई भूमि पर अपने घर बना लिये ।
अभी कुछ दिनों पहले हमारे
यहाँ एक जंगली जानवर ‘तेंदुए’ के आने की खबर ने सबको ही परेशान कर दिया और सब यही
कहते पाये गये कि उसे यहाँ नहीं आना चाहिये कोई भी ये नहीं सोच पा रहा था कि वो
नहीं हम उसके यहाँ आ गये वो बेचारा तो अपने उस ठिकाने को ही ढूंढता यहाँ चला आया
हैं... इसलिये अब एक मुहिम इन अबोले पशु-पक्षियों की तरफ़ से हम सबको चलाना चाहिये
जिसमें उनके शब्दों को आवाज़ देना चाहिये कि वो बेचारे क्या सोचते होंगे आपस में
क्या बातें करते होंगे हमारे रवैये को देखकर... ऐसा ही इक ख्याल पेश-ए-नज़र हैं...
:) :) :) !!!
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१५ जनवरी २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह “इन्दुश्री’
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