सोमवार, 3 अप्रैल 2017

सुर-२०१७-९३ : प्रदीप कुमार उर्फ़ पृथिका यशिनी बनी पहली ट्रांसजेंडर सब इंस्पेक्टर !!!

साथियों... नमस्कार...


जब आप कुछ नया करते हो तो आपको यह सुनने के लिये तैयार रहना चाहिए कि ‘तुम पागल हो’ उसके बाद यदि आप को अपने उस कार्य पर विश्वास हो तो फिर ये सुनने के बाद भी आगे बढ़ते रहना चाहिये जब तक कि आप कहने वालों को ही पागल सिद्ध न कर दो कुछ ऐसा कही करिश्मा कर दिखाया हैं... तमिलनाडु के सेलम जिले में ‘प्रदीप कुमार’ के रूप में जनम लेनी वाली ‘पृथिका यशिनी’ ने जिसने पहले तो ये निर्णय लिया कि वो जिस रूप में पैदा हुई हैं, वो उसे भाता नहीं हैं उस देह में उसकी आत्मा कसमसाती हैं तो उसे अपनी इस देह को उस तरह से परिवर्तित करना होगा जैसा वो चाहती हैं क्योंकि ईश्वर ने शायद, उसके माता-पिता की तीव्र इच्छा को देखते हुये पुत्र रत्न से उनकी झोली भर दी लेकिन उस काया में वे गलत रूह को जगह दे बैठे कि आत्मा का तो कोई लिंग नहीं होता यही मानकर पर, कभी-कभी कुछ आत्मायें अपने भौतिक व्यवहार से ये साबित कर देती हैं कि उन्हें वो जिस्म नागवार हैं, जो उन्हें बख्शा गया तो ऐसे में जो इस विरोधाभास को सहन नहीं कर पाती हर विपरीत परिस्थिति के बाद भी विद्रोह कर विजयी होती हैं जबकि कुछ उसी शरीर में दम तोड़ देती हैं कि हो सकता अगले जन्म में उनको उनकी इच्छा अनुरूप आकर मिले तो यहाँ बात हो रही हैं ‘पृथिका यशिनी’ की जिन्होंने २५ बरस पूर्व ‘प्रदीप कुमार’ के रूप में पैदा होकर पाने मन की बात सुनी और अपने परिजनों व समाज का विरोध सहते हुये भी पहली लड़ाई समाज के विरुद्ध लड़ते हुये अपना लिंग परिवर्तन करवाया जो इतना सहज नहीं था जब उन्होंने अपने कैब ड्राईवर पिता एवं अपनी टेलर के रूप में काम करने वाली अपनी माँ को अपनी मंशा बताई तो वे दोनों ये सुनकर आश्चर्यचकित रह गये एवं उन्होंने उसे समझाने के साथ-साथ पूजा-पाठ आदि का आश्रय भी लिया लेकिन वो नहीं मानी तो अपनी इस जिद के चलते २०११ में उन्हें अपने घर को भी छोड़ना पड़ा क्योंकि वे किसी भी तरह इसके लिये राजी नहीं हुये बल्कि उन्होंने उसके निर्णय को बदलने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किए पर, ‘प्रदीप’ के भीतर छिपी ‘पृथिका’ से हार गये जिसने अपने वास्तविक स्वरुप को पाने की ठान ली थी तो फिर उसने इन कठिनाइयों के आगे खुद को झुकने न दिया आखिर, वो भी तो अपने भीतर के अंतर्द्वंदो से परेशान ही गयी थी तो उसने अपनी लैंगिक पहचान पाने के लिये सबसे पहले अपना लिंग परिवर्तन करवाया फिर अपने सपनों को सच करने की दिशा में कुछ करने की सोची और इस तरह उसने अपने जीवन का एक कठिन पड़ाव पार किया...

कुछ जिंदगियों को ताउम्र संघर्षो के गलियारों से गुजरना पड़ता हैं तो इसके बाद शुरू हुआ दूसरा पड़ाव जिस तक पहुंचने के लिये उन्होंने ये सब कुछ किया उस ख्वाहिश को पूरा करने की तरफ अपने कदमों का रुख कर लिया याने कि पुलिस अधिकारी बनने का जो स्वप्न उन्होंने बचपन से देखा था उसे पूरा करने की तो जब तमिलनाडु पुलिस भर्ती बोर्ड से सब इंस्पेक्टर के पद हेतु भर्तियाँ निकली तो उसने भी आवेदन कर दिया जिसे पुलिस भर्ती बोर्ड ने खारिज कर दिया क्योंकि उनका नाम और प्रमाणपत्र आपस में असंगत थे और इसके अतिरिक्त भर्ती के आवेदन पत्र में थर्ड जेंडर की कोई श्रेणी ही नहीं थी तो ऐसे में शुरू हुई अगली बड़ी लड़ाई वो भी प्रशासन के खिलाफ़ और उन्होंने अदालत में इस तर्क को लेकर कई याचिकाएं दायर की जिसके अनुसार यदि वे शारीरिक रूप से सक्षम हैं तथा सभी शारीरिक परीक्षणों को पास भी किया हैं तो फिर वो केवल ट्रांसजेंडर होने की वजह से उसे अयोग्य करार दे दिया जायेगा उन्होंने ‘मद्रास उच्च न्यायालय’ में अपना दावा पेश किया जिसने ६ नवंबर २०१५ तमिलनाडु भर्ती बोर्ड को अपना आदेश दिया कि वे पृथिका यशिनी को इस पद पर नियुक्त करे साथ ही ये फैसला भी सुनाया कि वे अपने आवेदन पत्र में सुधार करते हुये ‘मेल’ व ‘फिमेल’ के अतिरिक्त ‘ट्रांसजेंडर’ श्रेणी को भी जोड़े और उन्हें लिखित परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर दे जिसमें पास होकर उसने न केवल कोर्ट के इस निर्णय की गरिमा को कायम रखा बल्कि अपनी हिम्मत, हौंसले और सूझ-बुझ से ट्रांसजेंडर के भविष्य निर्माण हेतु एक नया दरवाजा भी खोल दिया...

अभी ३१ मार्च २०१७ को उन्होंने तमिलनाडु पुलिस अकादमी से अपनी ट्रेनिंग पूरी की और २ अप्रैल रविवार को धर्मापुरी जिले में सब-इंस्पेक्टर के पद पर अपना कार्यभार संभाला और इस तरह इतिहास रचते हुये वे देश की प्रथम ट्रांसजेंडर सब-इंस्पेक्टर बनी और इस मौके पर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुये उन्होंने अपने अगले लक्ष्य से भी सबको परिचित करवाया कि वे भविष्य में ‘आई.ए.एस. ऑफिसर’ बनकर देशसेवा करना चाहेंगी तथा इस पद पर कार्यरत रहते हुये उनका प्रयास होगा कि अपनी जिम्मेदारियों का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन करते हुये समाज में फैलीकुरीतियों के विपक्ष में भी अपनी आवाज़ उठा सके जिनमें कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध/अत्याचार प्रमुख होंगे... उनकी इस माईल स्टोन जैसी सफलता पर उनको बहुत बड़ी मुबारकबाद के साथ-साथ भविष्य के स्वप्न पूर्ण हेतु शुभकामनायें भी कि जिस तरह से उन्होंने अब तक हर तरह की विपत्तियों में खुद को कायम रखा आगे भी इसी तरह अडिग रहकर अपने वजूद को इस्पात-सा मजबूत बना ले जिस पर किसी आक्रमण का कोई हल्का-सा भी असर पड़े... अस्तु... एवमस्तु... तथास्तु... :) :) :) !!!           

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०३ अप्रैल २०१७

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