रविवार, 2 अप्रैल 2017

सुर-२०१७-९२ : लघुकथा : हम पंछी एक डाल के...!!!

साथियों... नमस्कार...


एक पेड़ पर सब मिलकर एक साथ रहते थे लेकिन, न जाने किस तरह उनमें आधिपत्य की भावना जाग गयी और हर किसी ने उसे अपनी मिल्कियत समझ उस पर अपना अधिकार जमाने के चक्कर में उसकी कई शाखाएँ निकाल दी जिसकी वजह से अंततः बचे लोगों को एक साथ ही मिलकर रहना पड़ रहा था फिर भी उनके मन की कड़वाहट कम न हो रही थी तो अपने स्वार्थ के चक्कर में आपसी वैमनष्य के चलते वे ये भी भूल गये कि हम पंछी एक डाल के और उन्होंने उसे ही काट दिया तो केवल इतिहास में ही उनका उल्लेख मिलता हैं ।
संदेश : महज़ कहानियां पढ़ने से ज्ञान प्राप्त नहीं होता उसे ग्राह्य भी करना पड़ता अन्यथा जाल में फंसे तोतो की तरह गाते ही रह जाओगे, "शिकारी जंगल में आता, अपना जाल बिछाता हैं, लोभ के दाने डालता हैं, हमें जाल में फंसना नहीं चाहिए" ।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०२ अप्रैल २०१७

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