रविवार, 30 अप्रैल 2017

सुर-२०१७-१२० : "एक रिश्ता... आसमानी..."

साथियों... नमस्कार...

“एक रिश्ता आसमानी...!!!”
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यूँ ही
टहलते-टहलते
सागर किनारे
एकाएक थम गये कदम
तुम्हारी यादों संग...

सोचा...
रेत पर लिख दूँ
नाम तुम्हारा
पर, तभी देखा
बिखरता हुआ घरोंदा
तो फिसलते कण मिटा गये
मन में उठते शब्द

सोचा...
पानी पर लिख दूँ
नाम तुम्हारा
मगर, उठती-गिरती
बनती-बिगड़ती
आती-जाती समंदर की लहरें
संग बह ले गयी ये ख्याल

फिर सोचा...
हवा पर लिख दूँ
नाम तुम्हारा
तभी आया एक तेज झोंका
जो साथ अपने उड़ा गया
मन में उठता ये विचार

सोचते-सोचते...
मिल ही गयी वो जगह
जहां लिखे नाम न मिटते कभी
तो फिर रूह पर लिख दिया
प्यार से नाम तुम्हारा
और जन्मों-जन्मों तक बांध लिया
अमर प्रेम का ये नाता हमारा

इस तरह...
इक ख्याल ने
रेत से रूह और...
जमीं से आसमां तक का
अंतहीन सफर यूँ पूरा किया
इक रिश्ता आसमानी बना दिया ।।
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

३० अप्रैल २०१७

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