बुधवार, 5 अप्रैल 2017

सुर-२०१७-९५ : राम, भारत, लक्ष्मण, शत्रुध्न जन्मे साथ... जन्मदिवस उनका हम मनाते आज...!!!

साथियों... नमस्कार...


मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बनने से पहले वे भी सिर्फ एक मानव थे भले ही एकदम साधारण नहीं कि अयोध्या के महाराजा दशरथ के राजमहल में उनका जनम हुआ था फिर भी उन्होंने महल के सुख भोगने की बजाय एक साधारण मानव की भांति सभी तरह के कष्ट सहते हुये जीने का निर्णय लिया जिसमें समाज की बुराइयों को खत्म करने का संकल्प भी उनके मन में था क्योंकि वे जानते थे कि उसी काल में अनगिनत राक्षसी शक्तियाँ भी सक्रिय थी जो साधु पुरुषों को न केवल परेशान करती बल्कि उनके जीवन के लिये भी घातक थी ऐसी स्थिति में उन्होंने अपने पराक्रम एवं देह में निहित शक्तियों को व्यर्थ गंवाने की जगह इन सब बुराइयों से सामना कर उनको मिटाने की ठानी जिसके लिये कंटक भरे मार्ग से भी गुजरना पड़ा तो निश्चय को डिगने न दिया कि अपने जन्म को सार्थक करने के अवसर भी बार-बार नहीं मिलते अतः कितनी भी परीक्षाओं से उन्हें गुजरना पड़ा उन्होंने धैर्य व संयम नहीं खोया बल्कि अथक, अनवरत आगे बढ़ते रहे जबकि इस दुष्कर पथ पर चलते हुये उन्हें अनेक दुखदायी निर्णय भी लेने पड़े यहाँ तक कि अपने प्रियजनों से भी बिछड़ना पड़ा मगर, उसके बदले में उन्होंने निस्वार्थ सहज-सरल साथी भी पाये जिन्होंने उनके बुरे वक़्त में उनका साथ दिया इस तरह उनकी कथा पढने से हम पाते कि वे सामान्य बालक की तरह पैदा होकर भी केवल अपने सामर्थ्य, अपने सत्कर्मों एवं अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर ‘राम’ से चक्रवर्ती सम्राट बने जिनके राज का बखान आज भी किया जाता...

उनकी कहानी जितनी सहज-सरल उतने ही विस्मयकारी घटनाओं से भी भरी पड़ी हैं जिन्हें हम सब अपने बचपन से सुनते आ रहे हैं और हर माता-पिता उनसे पुत्र की कामना करते हैं जो केवल अपने माता-पिता के लिये ही आदर्श संतान नहीं बने बल्कि एक आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श मित्र, आदर्श राजा और एक आदर्श योद्धा भी बने जिन्होंने हा रूप में अपने धर्म का पालन किया तभी तो हर भाई भी उनके समान बद भाई का स्वप्न देखता तो हर स्त्री उनके जैसे एकनिष्ठ पति की कामना करती और दोस्त चाहते कि उनके संगी-साथी भी राम की तरह मित्रता निभाने वाले हो याने कि जिस चरित्र और जिस भूमिका का उन्होंने स्वांग धरा उसका पूर्णतया ईमानदारी से निर्वहन करते हुये उसका श्रेष्ठ मानक निर्धारित किया वो भी ऐसा कि उनके साथ ही जनम लेने वाले उनके तीनों भाई को भी हम आज के दिन बिसरा देते हैं जबकि आज के दिन केवला वे अकेले ही प्रकट नहीं हुये बल्कि उनके संग उनके तीन छोटे अनुज भी अवतरित हुये लेकिन उनके विराट व्यक्तित्व के आगे वे सब छाया के समान पीछे छिप गये या बोले कि ‘राम’ नाम में ही समा गये जो ये दर्शाता कि यदि लोग ‘फेसबुक’ या ‘ट्विटर’ में किसी का भी ‘फॉलोवर’ बनने की जगह उनका अनुशरण करें तो फिर उसे उनके चरित्र में कमियां निकालकर खुद को उनके समकक्ष खड़ा करने की बेकार कोशिश करने की जरुरत नहीं पड़ेगी वे स्वयं ही उनके जैसे बन जायेंगे...

भगवान श्रीराम के प्रकाट्य पर्व ‘श्री राम नवमी’ की सभी को अनंत शुभकामनायें... :) :) :) !!!                
_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०५ अप्रैल २०१७

कोई टिप्पणी नहीं: