गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

सुर-२०१७-११० : डिजिटल होती मानवीय संवेदनाएँ...!!!

साथियों... नमस्कार...


कहीं भी कोई भी घटना घटे या देश में किसी भी विषय पर कोई विवाद या किसी समस्या को लेकर कोई मुद्दा उठाये जाये लोग बड़े जोर-शोर से ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्स एप्प पर अपनी खुशी, क्रोध जैसी हर संवेदना का पोस्ट या कमेंट रूपी वमन कर सारा दोष सरकार के मत्थे मढ़कर खुद को देश का सबसे बड़ा जिम्मेदार नागरिक मन लेते हैं याने कि अब इस तरह भी लोग अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे फर्क इतना हैं कि पहले मुंह चलाते थे अब कीबोर्ड पर उँगलियाँ चलाते उन समस्याओं के निराकरण हेतु कोई भी जमीनी कदम उठाने की न तो कोशिश करते और न ही जहमत उठाते कि शुरू से मनुष्य को सुविधाजनक विकल्प भाते...

यकीन न हो तो ये जीवंत नज़ारा देख ले...

●●●

न्यूज़ चैनल पर
जैसे ही ये आई खबर कि
बैंगलुरु में सरेआम
एक लड़के ने राह चलती
लड़की के साथ जबर्दस्ती की
इंसानियत की हदें तोड़ी
तो उन्होंने हाथ में उठाया पकौड़ा
झट प्लेट में रखा
पट अपने सोशल मीडिया अकॉउंट में
जाकर टाइप किया
मन आहत हैं इस समाचार से
जाने समाज किधर जा रहा
बेटियां सुरक्षित नहीं इस देश में
और वापस जुट गये खाने में
सामने एक ने पढ़ा तो
चाय पीना छोड़ कमेंट किया
बहुत दुख हुआ यदि वहां होता तो
उन लड़कों को नहीं छोड़ता
तभी दूसरे ने सरकार को निकम्मा बताया तो
तीसरे ने कानून व्यवस्था को कोसा
और इस तरह हर एक
अपनी-अपनी जिम्मेदारी पूरी कर
अपने-अपने काम में लग गया
इस संतोष के साथ कि
उसने अपना दायित्व निभाया
जमीनी हकीकत से दूर
अब इस तरह आभासी दुनिया में
वास्तविक संसार के कर्तव्य
बड़ी जवाबदारी से पूर्ण किये जा रहे हैं
कागजी कार्यवाही की अब
हर किसी को आदत होती जा रही हैं ।।
-------------------------------------------●●●

इस तरह के दृश्य तो अब बड़े आम हो रहे और देश व दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्याओं का निराकरण इसी तरह किया जा रहा तभी तो हालात ज्यों के त्यों क्योंकि हमारा तो यही मानना कि हमारा काम केवल वोट देना बाकि सब जिम्मेदारी सरकार की तो इसका असर ये हो रहा कि लगातार गेजेट्स के संपर्क में रहने से हमारी कोमल भावनायें भी डिजिटल होती जा रही जिसका हमें अहसास भी नहीं कि हम संवेदनहीनता के चरम पर पहुँच चुके इससे पहले कि पूर्णरूप से रोबोट बन जाये चलो अपने भीतर की मनोभावनाओं को मरने स्व बचाये... :) :) :) !!!
_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२० अप्रैल २०१७

कोई टिप्पणी नहीं: