शनिवार, 10 मार्च 2018

सुर-२०१८-६९ : #मेरी_फ्रेंडलिस्ट_में_तो_हो #मगर_मेरे_नहीं_हो_तुम




‘ख्याति’ ने प्रोफाइल पर स्टेट्स अपडेट ही किया था कि तुरंत उसकी पोस्ट पर ‘विशाल’ का ‘लव रिएक्शन’ आ गया जिसे देखकर एकाएक उसका चेहरा रात में जिस तरह कुमुदिनी चाँद को देखकर खिल उठती बिल्कुल उसी तरह पूर्ण रूप से उसकी आभा के रिफ्लेक्शन से चमक उठा पर, थोड़ी ही देर बाद ये ख़ुशी कपूर की भांति उड़ गयी जब जेहन में ये ख्याल कौंधा...

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'तुम'
मेरी फ्रेंड लिस्ट में तो हो
मगर, मेरे नहीं हो
तुम मेरी पोस्ट पर अक्सर
‘लव रिएक्शन’ देते हो
लेकिन, मुझे चाहते नहीं हो
तुम कमेंट में मुझे
कभी-कभी दोस्त, मित्र
तो कभी यार लिख देते हो
पर, समझते नहीं हो
तुम प्रेम, प्यार के स्टिकर
भेज देते हो जवाब में
उनमें अपने दिल की बात
कहते तो हो लेकिन,
उसे कभी स्वीकारते नहीं हो
इतना सब कुछ चल रहा
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष
फिर भी खुलकर
कुछ भी तुम कहते नहीं हो
ऐसे में लगता यही कि
दूसरे सारे लोगों की तरह
तुम भी मेरी ‘फ्रेंड लिस्ट’ में हो बस,
पर, मेरे नहीं हो...
यूँ तो होने का अहसास
मौन से भी ज़ाहिर होता हैं
पर, इज़हार कर दिया गया हो
तब ये सब छोटी-छोटी बातें
आस्वस्त करती मन को
मगर, जब सब कुछ इकतरफा हो
तो कह देना जरूरी होता
नहीं तो मन न मानता
उसे तो यही लगता रहता कि
तुम मेरी फ्रेंड लिस्ट में तो हो
पर, मेरे नहीं हो
ऐसा होना उम्मीदें तो जगाता
पर, तसल्ली नहीं देता
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फिर वो खुद से ही बात करने लगी... सच, कितना ही मन को बहलाऊँ या इकतरफ़ा ऐसी बातों को सोच-सोच मुस्कुराऊँ लेकिन, हक़ीकत से मुंह तो नहीं मोड़ सकती, एक बार को मोड़ भी लूँ मगर, उससे क्या ये सच्चाई बदल जायेगी कि, तुम मेरी फ्रेंडलिस्ट में तो हो मगर, मेरे नहीं हो... और फिर एक बार ऐसा सोच होंठो की कलियाँ मुस्कुराने लगी... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१० मार्च २०१८

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