चैत्र शुक्ल
त्रयोदशी
अहिंसा ने लिया
मानवीय अवतार
राजा सिद्धार्थ
और रानी त्रिशला हुये धन्य
शुभ आगमन से
जिसके
‘कुंडलपुर’ राज्य
का हुआ उत्कर्ष
‘वर्धमान’ दिया
गया उसको नया नाम
बचपन से ही मन
में भरा था
पवित्रतम भावों
का अपरिमित भंडार
परपीड़ा से होते
द्रवित
प्राणीमात्र के
प्रति दया से रहते भरपूर
जीव को न कोई कष्ट
पहुंचे
अहिंसा परमो
धर्म का सबको मंत्र देते
जियो और जीने
दो के पक्षधर
बन गये जैन
धर्म के चौवीसवें तीर्थंकर
अहिंसा, सत्य,
अपरिग्रह का दिया संदेश
आज मनाते हम सब
मिलकर उनका जन्मदिवस
जिसने संपूर्ण
जीवन किया देवार्पित ॥
आप सभी को ‘महावीर
जयंती’ की अनेकानेक शुभकामनायें... ☺ ☺ ☺ !!!
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
२९ मार्च २०१८
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