रविवार, 11 मार्च 2018

सुर-२०१८-७० : #पाबंदी_नहीं_परवाह



बुरी नहीं बंदिशें
बात-बेबात की टोकाटाकी
एक पल को बुरा जरूर लगता
मन आहत भी होता
भरना चाहते हो उड़ान
पकड़ ले कोई हाथ
या थाम ले आकर जीवन डोर
सीमाओं में बंधकर जीना
सपनों को बांध देता
उन्हें आकाश छूने नहीं देता
तब होती कसमसाहट
अगर, कुछ करने की हो चाहत
मगर, सोचो जरा,
चिड़िया भी अपने नन्हे-नन्हे
चूजों को उनकी सामर्थ्य से अधिक
देखती भरते उड़ान तो रोक देती
कि उसे पता उनके परों की ताकत
कितनी दूरी तय कर सकते
उससे अधिक तभी मिलता उड़ने
जब पंख मजबूत होते
इसलिये बैठकर एकांत में समझो इसे
करो चिंतन-मनन तो जानोगे कि,
ये पाबंदी नहीं परवाह हैं ।।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
११ मार्च २०१८

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