गुरुवार, 22 मार्च 2018

सुर-२०१८-८१ : #जल_बिन_धरती_जल_रही



त्राहि-त्राहि मची हुई
जल बिन धरती जल रही
जल रहा गगन
जल रहा जंगल
जल बिन जल रहा कण-कण
निर्जल हो रहा चमन
निर्जल हो रहा दामन
निर्जल होता जा रहा पर्ण-पर्ण
सूख गये कुयें
सूख गये नल  
सूखती जा रही हर एक शय
यूँ ही अगर चलता रहा
हमने अगर कुछ न किया
रोयेंगी कई सदियाँ
आने वाली पीढियां
भयावह हैं आने वाला कल
पल-पल ज्यूँ घट रहा जल
फ़िज़ूल मनाना ‘विश्व जल दिवस’
समझे न हमने जो ये संकेत
प्रतिदिन कुदरत दे रही संदेश  
बना नहीं सकते जल
बचाना ही एकमात्र विकल्प...!!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२२ मार्च २०१८

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