‘सोनाली’ ये
कोई इतनी बड़ी बात नहीं तुम जितना बुरा मान रही हो छोडो इसे ये सब तो चलता ही रहता
हैं अब ऐसे मुंह फुलाकर बैठने से तो कुछ होने से रहा हाँ, तुम्हारा मिज़ाज जरुर कुछ
और तीखा हो जायेगा...
‘इमारा’ की बात
सुनकर उसने कुछ चिडचिडे लहजे में कहा, सबको मेरे मिज़ाज का तीखापन ही दिखाई देता
इसकी पीछे की वजह नहीं आखिर, मैं ऐसी क्यों बनी ? क्यों नहीं दूसरों की तरह
प्रैक्टिकल बनकर अपना स्वार्थ साधती क्योंकि, बचपन से मुझे घुट्टी में नैतिक
मूल्यों का जो काढ़ा पिलाया गया वो मुझे गलत करने से रोकता हैं इसलिये सब मुझे ओल्ड
मॉडल कहते लेकिन, कोई ये नहीं सोचता कि ये सब एक दिन में नहीं हुआ किसी की शख्सियत
एक दिन मैं नहीं बनती...
इसमें कई घटनाओं,
कई हादसों और कई अच्छी-बुरी बातों का योगदान होता और जब लगातार एक के बाद एक धोखे
मिले तो तो आदमी मेरे जैसा-ही बन जाता हैं... तू नहीं समझेगी ये करेले-सी कड़वी फ़ितरत
किस तरह बनती...
●●●●●●--------------
लोगों ने मेरी
जुबां से
शहद चुराकर नीम
बो दी हैं
अब बोलते हैं
कि,
यार, तेरी जुबां बड़ी कड़वी हैं
.....
भरोसे की पीठ
पर
लगातार धोखा
वार करता रहा
कब तक खुद को
संभालता
आखिर, एक दिन वो मर गया
फिर लोगों ने
कहा,
बड़ी गंदी आदत
हैं तुम्हारी
किसी पर भरोसा
ही नहीं करते
.....
अक्सर,
स्पष्ट
विचारधारा
जीवन मूल्यों
को तरजीह देने वाले
छोटी-छोटो
बातों से आहत हो जाते हैं
धोखेबाजी,
बेईमानी
छल-कपट भरे
व्यवहार से
तंग होकर
चिडचिडे
तीखी जुबान
वाले बन जाते हैं
.....
कुछ इनमें से
महात्मा या
योगी भी बनते
पर, आजीवन वो किसी पर भी
विश्वास नहीं कर
पाते हैं
बार-बार लगातार
लोगों को मौके
देने और
सच जानकर भी
आजमाने वाले
अमूमन, साफ दिल होते
लेकिन, जब घाव पर घाव मिलते
छाले फूट ही
जाते
जिनसे निकला
विष उनको
जो उस षड्यंत्र
का हिस्सा नहीं थे
अपनी जद में ले
लेता
.....
गोया कि,
किसी के गुनाह
की सज़ा
कोई दूसरा
भुगतता ॥
--------------------------●●●
तू, अब जा ‘इमारा’
तू नहीं समझेगी ये बातें... संवेदनशील होना अभिशाप हैं आज की दुनिया में पर, अब क्या
करें, पत्थर दिल हो नहीं सकते तो जैसे ही वैसे ही रहेंगे... ओल्ड मॉडल... और, वो दरवाजा
बंद कर अपने कमरे में चली गयी और ‘इमारा’ खड़ी-खड़ी बंद दरवाजों को देखती रही जिसके
पीछे का सच वो आज जान चुकी थी ।
_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
२६ मार्च २०१८
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें