शनिवार, 17 मार्च 2018

सुर-२०१८-७६ : #अंतरिक्ष_के_लिये_जीने_मरने_वाली #कल्पना_चावला_भारत_की_महान_बेटी



भारत के हरियाणा प्रांत के छोटे-से गाँव ‘करनाल’ में जन्मी ‘कल्पना चावला’ ने अपने असाधारण जीवन और अभूतपूर्व सफ़लता से जो कारनामा कर दिखाया निसंदेह उसने अनेक बेटियों सपने ही नहीं बल्कि उनको भी कोख़ में मरने से बचाया उनके ही जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धि पर ये शाब्दिक कल्पना प्रस्तुत हैं....  

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१९८८ में ‘नासा’ में हुआ चयन
और १९९८ में प्रथम अंतरिक्ष उड़ान भरने को हुई तैयार
तब आई माँ की याद तो ‘कल्पना’ ने लिखा
एक पत्र अपनी माँ के नाम..

ओ मेरी प्यारी माँ,

ये तो हैं बस,
सफ़लता का पहला मुकाम
अभी तो बाकी हैं जीतना जहां
पहुंचकर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों पर
लहराना हैं अपना तिरंगा वहां

बढ़े हुये हौंसलों से
तय करना हैं हर इम्तिहां
चाहे आये कितनी भी मुश्किलें
पार कर सबको पाना हैं
अपनी अलग स्वतंत्र पहचान

जिसके न होने से
कमतर समझता रहा मुझे
हर आमो-ख़ास
पर,  अब जब छूने को हूँ आसमां
तो देर से ही सही सबने मुझे जाना हैं 
कि वो प्रदेश जहाँ की धरती पर
लड़की का जन्म लेना भी मुश्किल था
आज वो जाकर अंतरिक्ष में
कर रही अपने देश का ऊंचा नाम

जल्द आकर तुझसे मिलूंगी
मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ
प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए बिताया
और एक दिन इसी के लिए ही मरूँगी
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जिसके सपनों में भी अंतरिक्ष ही दिखाई देता था... जिसके लिये जीने-मरने के लिये उससे बेहतर कोई स्थान नहीं था... वो एक दिन उसी अंतरिक्ष में विलीन हो गई... आज भी वहीँ से देख रही होगी कि नहीं भुला ये देश अपनी उस बेटी को मना रहा उसका जन्मदिन दे रहा बधाई... जिसने अंतरिक्ष में जाकर बधाई उसकी साख़... बेटियों को दिया उड़ान भरने का साहस... उसे हजारों सलाम... जन्मदिन मुबारक.. ☺ ☺ ☺ !!!
 
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१७ मार्च २०१८

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