मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

सुर-२८६ : "आये माँ के नवरातें... करें भक्त माँ की बातें...!!!"


सज गया
माता रानी का दरबार
लग गया
भक्तों का मेला अपार
होने लगी
चारों तरफ जय-जयकार
छाने लगी 
श्रद्धा भक्ति की बहार
करते दुआ
खत्म हो दुष्टों का प्रहार   
आये जग में
माँ आदिशक्ति की सरकार  
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ऋतू परिवर्तन की बेला फिर से लाई भक्ति भाव से भरे नवरातें का पावन पर्व जिसमें नौ दिनों तक उपासक करेंगे तन-मन-धन से समर्पित होकर अपने भावों का निश्छल प्रदर्शन जिससे प्रसन्न होकर आदि शक्ति जगत जननी माँ दुर्गा अपने साधको पर करेंगी वरदानों की बरसात जिससे होगी पूरी सबकी मनोकामनायें चहुँ तरफ गूंजेगी माँ की जय-जयकार जो संपूर्ण ब्रम्हांड को भर देगी परम पावन सकारात्मक ऊर्जा से जिससे बढ़ेगा जन-जन का सामर्थ्य, मनोबल और आसुरी प्रवृतियों से लड़ने की शक्ति क्योंकि यही तो हैं इन माँ आदिशक्ति के प्रबल तेजोमय नौ दिनों की महत्ता जिसका इंतजार हर एक भक्त बड़ी बेसब्री से करता हैं ताकि सिर्फ उनके अपने आश्रय स्थल में ही नहीं बल्कि आस-पास के वातावरण में भी उनके घरों से निकलने वाली पवित्र होम की तरंगों से सुरक्षा मंडल निर्मित हो जाये जो आस-पास मंडराने वाली सभी दुष्ट ताकतों का संहार कर सबको सदैव संकटों से मुक्त कराये और किसी पर किसी भी तरह की विपदा न आये

इस तरह के सामूहिक धार्मिक आयोजनों का उद्देश्य वास्तव में यही होता हैं कि सब में ‘वसुधैव कटुम्बकम्’ की भावना विकसित हो जिससे कि मन के भीतर जमी बुराइयों का खात्मा होकर विश्वास की जड़ें जमे जिनका पौधा वृद्धि कर आने वाली संतति को अपनी छत्रछाया में अभय प्रदान करें इसलिये तो जगह-जगह माँ की झांकी सजी जाती जिसमें सब एकत्रित हो एक साथ उच्च स्वर में माँ की भक्तें गाते, डंडिया का रास रचाते और प्रसाद रूपी मिठास का वितरण करते जो जुबान के साथ-साथ दिलों में भी प्रेम जगाती तो फिर हम सब भी इन दिनों में जितना हो सके उतना ही माँ की भक्ति में अपना योगदान देकर सकल जगत की शांति हेतु किये जाने वाले इस समारोह के भागीदार बने और जगतजननी के प्रति आभार प्रकट कर कृतार्थ हो कि उन्होंने हमें ये मानव देह देकर इस तरह सार्थक कर्म का अवसर प्रदान किया.... जय माता दी... :) :) :) !!!
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१३ अक्टूबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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