गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

सुर-२७४ : "अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस... मनाओ साथ मिलकर...!!!"


घर की आन
बान, शान और
अनुभवी ठांव हैं ‘वृद्ध’
जिसमें मिले सुकूं के पल
मिटे गम के साये
ऐसी शीतल छाँव हैं ‘वृद्ध’
बसे जिसमें घर-परिवार
मिले सबको जीवन
हो पूरे सबके हर सपने
ऐसे आश्रयदाता गाँव हैं ‘वृद्ध’
मुश्किलों में जो खड़े रहे
किसी हालात में न कभी डिगे
बनाने बच्चों का भविष्य 
अथक और अनवरत चलते रहे
ऐसे मजबूत पाँव हैं ‘वृद्ध’
आसमान का चमकीला सितारा
हर अँधेरा में भरे उजाला
जाकर भी सदा साथ रहते
हर बरस मिलने आते 
पितृपक्ष की कांव-कांव हैं ‘वृद्ध’  
------------------------------------------●●● 
              
___//\\___ 

मित्रों...,

वो घर अधूऱा लगता जिसमें कोई बुजुर्ग न होता क्योंकि वही तो हैं जिनसे हमारा निर्माण हुआ तो फिर उस आधारशिला के बिना हम किस तरह से मुकम्मल हो सकते उनकी दी हुई जमीन पर ही तो हम खड़े हुये हैं धीरे-धीरे उनकी ऊँगली पकड़कर चलना सीखा और उनके पालन-पोषण करने से बडे हुये लेकिन फिर जब हमारा अपना स्वतंत्र अस्तित्व निर्मित हुआ तो हम पके फल की तरह पेड़ से अलग हो खुद को उनका जीवनदाता समझ ये सोचने लगे कि वो हम पर निर्भर हैं जबकि वो तो हमें खुदमुख़्तार बनाने की खातिर अपनी भूख-प्यास नींद सबको भूलकर आजीवन अथक परिश्रम करते रहे और जब उनके आराम करने का सुख से जीने का वक्त आया तो हमने हमारे भविष्य को संवारने की खातिर अपने वर्तमान को तिलांजलि देने वाले उन साधकों की सेवा करने की बजाय उनके बनाये आश्रय पर एकाधिकार कर उन निर्बल, असहाय वृद्धजनों को दे दिया एक कोना इस तरह से उन्हें घर के उस अँधेरे एकांत हिस्से में रख दिया जिस तरह से अपनी पुरानी वस्तुओं को स्टोर रूम में रख देते हैं जो कि अब हमारे काम की नहीं रही लेकिन एक बार भी ये विचार नहीं किया कि वे कोई सामान नहीं बल्कि पारसमणि हैं जिनसे हम कुंदन बने तो फिर जब तक हमारे सर पर उनकी छाया हैं समझो ईश्वर का वरद हस्त हैं जिससे न सिर्फ़ हमारी सभी मनोकामनायें हमेशा ही पूरी होती आई हैं बल्कि अब तो हमारी संतति भी उनकी गोद में पलकर उनके अनुभवी वचनों को सुनकर उसी तरह से मजबूत शाखा बन सकते जिस तरह से कभी हम कोमल टहनी से एक पृथक तना बन सके तो आज अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर सभी बुजुर्गों को हृदय से नमन और शुभकामनायें कि बार-बार ये दिन आता रहे हमें उनके त्याग की याद दिलाता रहे और संतानों के मन में प्यार जगाता रहे कि भले ही दिन के ८ घंटे हम अपने काम में मशगूल रहे पर, ८ पल ही सही उनके साथ बिताये तो वो उनके लिये सबसे बड़ी सौगात होगी... ये कुछ ज्यादा तो नहीं... तो फिर आज से ही इसे अमल में लाये... अपने बुजुर्गों का आशीष पाये... :) :) :) !!!    

०१ अक्टूबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

--------------●------------●

कोई टिप्पणी नहीं: