रविवार, 4 अक्तूबर 2015

सुर-२७७ : "लघुकथा --- इश्क़ ने किया... निकम्मा...!!!"

लघुकथा : “इश्क़ ने किया... निकम्मा...!!!”
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मित्रों...,

‘सजल’ ने यूँ ही न्यूज़ चैनल की बटन दबा दी थी मगर, सामने जो ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ आ रही थी उसे सुन और देखकर उसके पांव के नीचे की जमीन और सर के उपर की छत घूमती नजर आ रही थी क्योंकि खबर एक बड़ी पार्टी के बहुत ही बडे नेता के बारे में थी जिसने अपने पूरे राजनैतिक कैरियर में सदा विपक्ष के लोगों की कमियां और निजी जिंदगी की बातों पर बड़ा जहर उगला, बड़े ही कटू वचन कहे इसलिये उस पार्टी में उनकी पहचान ख़ास तौर पर एक ऐसे नेता के रूप में थी जो सदा दूसरों पर उँगलियाँ उठाता, उनके बयान, उनकी कही बातों की धज्जियाँ उड़ाता, उनकी ‘पर्सनल लाइफ’ की बातें सबके सामने लाता... जिससे लोगों को लगने लगा था कि पार्टी में उनकी भूमिका शायद, इसी रूप में तय हैं इस कारण लोगों ने उनका एक नाम ‘लाउड स्पीकर’ बोले तो ‘सरकारी भोंपू’ भी रख दिया था जो बस, समय-समय पर बजना जानता था और जो भी उसको पता हो उसे सबको बताना ही उसकी नैतिक जिम्मेदारी बनती थी

मगर, आज जब उनकी निजी जिंदगी की एक बड़ी सच्चाई सबके सामने आ गयी तो अचानक उन्हें याद आया कि सबकी व्यक्तिगत जिंदगी, उसकी पेशेवर जिंदगी से अलग होती हैं जिसे यूँ सरेआम नहीं लाया जाता तभी तो अपनी प्रेम कहानी सबके सामने आने पर उनका कहना था कि, किसी के  निजी जीवन में यूँ झांकना गलत हैं... निंदाजनक हैं... ‘सजल’ ने मुंह बिचका सोचा... पता नहीं जब खुद पर आती हैं तो ये दिव्य ज्ञान न जाने कहाँ से प्रकट हो जाता हैं ।      

इस ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ से उबकर उसने चैनल बदला तो सामने ‘इश्किया’ फिल्म चल थी थी और ‘अरशद वारसी’ अपने खालू ‘नसीरुद्दीन शाह’ से कह रहा था, “वाह जी, आपका इश्क़... इश्क़... और हमारा इश्क़ सेक्स”

वो समझ गया हर बंदा दूसरों को इसी नजरिये से देखता हैं... जहाँ अपना ‘इश्क़ सूफियाना’ और अगले का ‘बकवास’ नजर आता हैं... इसमें कोई नई बात नहीं... और सर को झटक वो मजे से फिल्म देखने लगा    
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०४ अक्टूबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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