गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015

सुर-२८८ : "व्यक्तित्व वो बेमिसाल... कहते जिसे कलाम...!!!"


टूटा आकाश से वो
बन कर के एक सितारा
नाम मिला जिसको
‘कलाम चाचा’ सा प्यारा
सेवा भाव मन में भरा
बनाया जिसने सबका सहारा
देशभक्ति का जज्बा
जिससे वतन अपना संवारा
आई आज ‘१५ अक्टूबर’  
‘हो जन्मदिन मुबारक’
रहे अमर दुनिया में नाम
हर कोई ये पुकारा
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मित्रों...,

२७ जुलाई २०१५ को यदि वट वृक्ष सा विशाल हम सबको अपनी छत्रछाया में शरण देने वाला वो महान संत जैसा त्यागी कर्मयोगी एकाएक धड़ाम से न गिर गया होता तो आज हम सब मिलकर उनका ८५ वां जन्मदिन मना रहे होते जो आज उनके बिना भी उनकी स्मृति में संपूर्ण देश में ही नहीं बल्कि विश्व में भी मनाया गया क्योंकि भले ही उस विराट व्यक्तित्व ने भारत भूमि में जनम लिया था लेकिन अपनी अद्भुत योग्यता और सादगी से उसने हर किसी को अपना बना लिया था जिसने इस सकल ब्रम्हांड को कर्म का सिद्धांत बताने वाले परम योगी भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली ‘सुगीता’ को इस तरह से आत्मसात किया कि अपने जीवन दर्शन से शब्दशः उसका ही प्रदर्शन किया और जब इस दुनिया से अलविदा भी हुए तो छात्रों को समय प्रबन्धन के गुर सिखाते हुए जिसके दम पर उन्होंने स्वयं का मुश्किलों से भरा जीवन सफल बनाया और अपने जीवन में जहाँ पर भी जो भी अनुभव हुए उन्हें खुले हाथों सब पर लुटा दिया कुछ भी अपने साथ लेकर नहीं गए न ही अपने जीवन में ही किसी व्यर्थ के सामन का संचय किया सिवाय ज्ञान के भंडार के वो भी  उन्होंने जितना भी कमाया या जितना भी उनके पास था सदैव सबको बांटते रहे तो आज ऐसे ही त्याग समर्पण के सादगी से भरे उस कर्मयोगी को हम शत-शत नमन करते हैं... :) :) :) !!!      
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१५ अक्टूबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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