शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2015

सुर-२८९ : "विश्व खाद्य दिवस आया... अन्न बचाना याद दिलाया...!!!"


अन्न का
एक-एक दाना
हमको हैं बचाना
ताकि मिले सबको खाना
न पड़े किसी को कभी
बिना खाकर भूखा सो जाना
‘विश्व खाद्य दिवस’ का उद्देश्य
यही संदेश घर-घर  पहुँचाना
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मित्रों...,
 
जिस तरह से सम्पूर्ण विश्व में खाद्यान का संकट उत्पन्न हुआ उसी तरह से इसके प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से सबके द्वारा प्रयास भी शुरू कर दिये गये और सीके लिये ‘सयुंक्त राष्ट्र संघ’ १६ अक्टूबर, १९४५ को रोम में "खाद्य एवं कृषि संगठन" (एफएओ) की स्थापना की जिससे कि सकल जगत में आ रही भूखमरी को समूल नष्ट किया जा सके और इस परोपकारी भावना के साथ ही उसने सं १९८० से  इसी दिन यानी कि १६ अक्टूबर को 'विश्व खाद्य दिवस' मनाने का शुभारंभ भी कर दिया जिससे कि प्र्तिव्र्च अधिक से अधिक लोगों को इसके साथ जोस्कर उन्हें ये बोध कराया जाये कि अभी व्ही संसार में कितने देश और लोग ऐसे हैं जिन्हें कि दोनों समय तो छोड़ो एक वक़्त भी भोजन नसीब नहीं होता जबकि कहीं-कहीं व्यक्ति चार-चार बार खाकर भी भूखा बना रहता हैं और कहीं तो कोई एक निवाले को ही तरस जाता हैं, कहीं कोई पकवान खाता हैं तो कहीं कोई केवल उसकी कल्पना कर के ही सो जाता हैं, कहीं पर कोई भोजन की बर्बादी करता हैं यूँ ही उसे पार्टी या किसी भी आयोजन में उड़ा देता हैं तो कहीं कोई कूड़ेदान में पड़ा सड़ा-गला टुकड़ा तक पाकर खुद को खुशनसीब समझता हैं

सच, बड़ी विसंगतियां हैं इस दुनिया में किसी के पास खाने को तरह-तरह के अनाज और खाद्य वस्तुयें हैं पर, भूख का अहसास नहीं तो कहीं किसी के पास जबरदस्त भूख हैं लेकिन उसे मिटाने के लिये कोई व्यवस्था नहीं हैं तभी तो इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई जिससे निपटने के लिये ही हमें अभी से ही पर्याप्त ध्यान देना होगा अन्यथा किसी दिन पानी के साथ-साथ खाने के लिये भी विश्व युद्ध की स्थिति निर्मित हो जायेगी जो अभी भले ही स्वप्न की बात नजर आये लेकिन जिस तरह से अनाज का दुरुपयोग किया जा रहा हैं तो ये कोई अतिश्योक्ति नहीं बल्कि सत्य ही बन जायेगी यदि हमने अपनी आदतों को नहीं बदला केवल अपनी दिनचर्या में कुछ छोटे-छोटे परिवर्तन कर हम अपनी तरह से इस मुहीम में योगदान दे सकते हैं और अन्न यज्ञ में अपनी बचत की आहुति डालकर किसी भूखे के भोजन की बड़ी आसानी से व्यवस्था कर सकते हैं जिसके लिये हमें कोई त्याग-बलिदान करने की भी आवश्यकता नहीं सिर्फ अपने आप पर और अपने आस-पास खुली नजर रखना हैं और जहाँ कहीं भी लगे कि अनाज की बर्बादी की जा रही हैं तो तुरंत वहां पर सजग होकर अपनी भूमिका निभानी हैं जो हमें स्वयं ही तय करनी होगी कि हम किस तरह से इसे अंजाम दे सकते हैं

‘विश्व खाद्य दिवस’ जब भी आता हम सबको ये याद दिलाता कि न रहे कोई भूखा कभी भी कहीं भी हमें हर पेट तक अन्न पहुँचाना हैं... ये कोई मुश्किल कार्य नहीं... बड़ा आसान हैं... यदि मन में संकल्प दृढ़ हैं... :) :) :) !!!
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१६ अक्टूबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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