सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

सुर-२९२ : "प्रकृति बनाम प्रवृति...!!!"

हिंसा
मेरी प्रकृति
क्रूरता
मेरा स्वभाव
क्योंकि,
मैं हूँ ‘जानवर’
अहिंसा
मेरी प्रकृति
नम्रता
मेरा स्वभाव
क्योंकि,
मैं हूँ ‘समझदार’
पर,
आदिम युग से
आधुनिक युग तक
आते-आते
मैंने सीख ली
‘पशुता’
तभी तो मार ‘पशु’
खुद ही बन रहा
सबका ‘देवता’   
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मित्रों...,

मम्मी, मम्मी सुबकते हुये ‘प्रिंसी’ घर के अंदर आई तो माँ ने लाड़ से उसे गोद में उठाते हुये कहा, क्या हुआ मेरी लाड़ो को किसने उसे रुलाया... तब वो बोली, मम्मी... मम्मी... जब मैं अपनी सहेली के घर से खेल कर आ रही थी तो वो बाहर सामने वालों का ‘डॉगी’ मेरे पीछे पड़ गया तब बगल वाली आंटी ने मुझे यहाँ छोड़ के गयी, मैं एकदम डर गयी थी और वो माँ के सीने से लग गयी तब माँ ने उसे पुचकारते हुए समझाया बेटा, ये जानवर तो होते ही ऐसे हैं तुमसे कितनी बार कहा कि अकेले न जाया करो अभी तुम छोटी हो इन जानवरों से खुद की रक्षा नहीं कर सकती आगे से ध्यान रखना न अकेले जाना न ही अकेली आना हम साथ चलेंगे तुम्हारे ओके... अब खुश हो जाओ चलो देखो माँ ने तुम्हारी पसंद का नाश्ता बनाया हैं खाकर हम दोनों मिलकर होमवर्क करेंगे चलो... चलो... कहीं भैया और पापा मिलकर सब खा न जाये

रात को सोते हुए ‘प्रिंसी’ ने अपनी माँ से पूछा, मम्मी, ये जानवर ऐसे क्यों होते हैं खतरनाक टाइप के हमें बहुत डर लगता हैं... जबकि खरगोश, हिरन तो बड़े अच्छे होते हैं उनसे तो बिल्कुल डर नहीं लगता तो माँ ने उसे सर पर हाथ फेरते हुये कहा-- बेटी, इन सारे जानवर को आसमान में रहने वाले उस भगवान् ने बनाया हैं तो इसमें उनका कोई कुसूर नहीं इसलिये कोई खतरनाक तो कोई एकदम सीधा होता जो उनकी ‘प्रकृति’ पर निर्भर करता तो ‘प्रिंसी’ बोली, इसका मतलब गॉड ने ही उनको ऐसा बनाया हैं पर क्यों मम्मी सबको एक जैसा क्यों नहीं बनाया तब मुझे किसी से भी डर नहीं लगता तो माँ ने उसे समझाया कि अगर ऐसा होता तो एक तो इस नेचर का बैलेंस नहीं बनता दूसरा इंसान तो सारे ही जानवरों को मारकर खा जाता तो ‘प्रिंसी’ बोली, माँ इंसान ऐसा क्यों करता हैं वो भोले-भाले जानवरों को भी क्यों मरता हैं जबकि वो तो उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ते तो माँ ने जवाब दिया कि, क्योंकि ये इंसान की ‘प्रवृति’ होती हैं तब ‘प्रिंसी’ पूछने लगी कि ये ‘प्रकृति’ और ‘प्रवृति’ क्या होती हैं माँ तो उन्होंने कहा अभी रात बहुत हो रही तुम सो जाओ कल बताउंगी

अगले दिन ‘प्रिंसी’ स्कूल से जल्दी आ गयी तो माँ ने पूछा क्या हुआ तुम्हारी जल्दी छुट्टी क्यों हो गयी तब वो बोली मम्मी, आज हमारी मैडम बोली कि कुछ लोगों ने हमारे स्कूल में पढ़ने वाली ‘शिवाली’ के साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया तो सभी टीचर्स उसके घर जायेंगे इसलिये मैडम ने हमारी छुट्टी कर दी तब माँ ने उसे सीने से कसकर भींच लिया तो उसने कहा, मम्मी क्या इंसान भी जानवरों जैसा व्यवहार करता हैं ? माँ एकदम काँप गयी उसे समझ में नहीं आया कि वो उसे क्या कहे कि जानवर तो अपनी फ़ितरत से मजबूर हैं मगर, ये इंसान ये तो अपनी आदत से ज्यादा अपनी हवस का गुलाम होता, जिसे बनाया भले ही उसी भगवान ने हैं लेकिन अपनी ये प्रवृति इसने खुद ही निर्धारित कर ली और अपने आपको सबका मालिक समझ बैठा अब वो इस बच्ची को कैसे समझाये कि जानवर तो एक बार दया कर भी दे लेकिन नरपशु से ये आशा करना भी गलत हैं वो जानता-बुझता भी अपने आप पर नियंत्रण नहीं कर पाता जबकि जानवर केवल परिस्थितिवश हिंसक होकर क्रूरता करता हैं पर, अब उसे अपनी बिटिया को हर तरह के जानवरों का सामना करना सिखाना ही होगा क्योंकि बदलते वक्त के साथ यदि ‘आदमी’ इसी तरह ‘कन्या भ्रूण’ की हत्या करता रहा तो अधिक क्रूर बन जायेगा तब केवल आत्मरक्षा के गुर ही काम आयेंगे   
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१९ अक्टूबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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