सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

सुर-२९९ : "आई शरद पूर्णिमा की रात... लाई अमृतमयी सौगात...!!!"


बस,
एक बार
आती वो रात
सोलह कला पूरण
आसमान पर जगमगाता
सबका प्यारा ‘चाँद’
करते ‘श्रीकृष्ण’ महारास
छलकाता चंद्रमा का प्याला
अमृतमयी प्रेम हाला
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मित्रों...,

‘चाँद’ एक हैं लेकिन उससे जुड़ी कहानियां अनेक हैं जिससे उसकी महत्ता का पता चलता कि वो सिर्फ़ एक ग्रह नहीं बल्कि हर धर्म, हर मजहब के लिये विशेष मायने रखता और हर रात हम सबके लिये जाग पहरेदारी करता इस तरह वो अनजाने में भूले-भटकों को राह दिखाता तो साथ ही किसी रोते बच्चे को भी बहलाता और कभी-कभी तो किसी प्रियतम का महबूब बन सारी रात उसके साथ जागता और इस तरह से हर किसी का वो साथी बन सिर्फ उसकी खुशियों ही नहीं उसके दुखों को बांटता और समूचे ब्रम्हांड में रहने वाले अलग-अलग धर्म के लोगों को एकता के सूत्र में बांधने का काम भी करता जिससे कि दूर-दराज में रहने वाले लोग उसके माध्यम से अपने बिछड़े हुये साथियों को संदेश भेजते तो कभी उसे आईना बना अपनी छवि देखते तो कभी उसमें किसी अपने का दीदार करते और बस ये सिलसिला चलता ही रहता कि अनवरत अथक वो हर रात अपनी जिम्मेदारी निभाता भले ही कभी घटता तो कभी बढ़ता लेकिन काम पूरे करता इसलिये तो सबको उसका इंतज़ार रहता कि वो आये तो बात बन जाये उस पर जब आती ‘शरद पूर्णिमा’ की रात तो फिर जागते सब उसके साथ सारी रात कि वो सबके लिये लेकर आता अमृत की अनुपम सौगात जिसे पीकर उनका स्वास्थ्य निरोगी बनता और नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मकता में परिवर्तित होकर उनके उत्साह में भी वर्धन करती जिससे स्वतः ही उसकी आयु बढ़ जाती और फिर ये तो हर बरस होता ये और बात हैं कि अब लोगों के पास उसे देखने का उसके साथ बतियाने का या उसके साथ बिताने का समय न हो लेकिन वो तो निःस्वार्थ अपना काम करता

तो आज फिर अपने प्याले में भरकर ले आया वो अमृत की हाला चखने जिसको आपको रखना पड़ेगा बनाकर खीर से भरा अपना प्याला तभी तो मिलेगा सुधा रस का स्वाद जिसे आपके उस प्याले में भर देगा वो आपके लिये और हो सके तो आज की रात कुछ देर बिता लेना उसकी छाँव तले तो नहा जाओगे उसकी निरोगी किरणों से और कोशिश करना कि उस रौशनी में एक सुई में पिरो लेना धागा तो बढ़ जायेगी आँखों की रौशनी भी... साल में बस एक बार ही तो आती ये रात बना लो इसे यादगार... :) :) :) !!!           
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२६ अक्टूबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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