गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

सुर-३०२ : "लघुकथा --- स्पीडब्रेकर...!!!"


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मित्रों...,

तमन्ना’ बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी गुनगुनाते अपने काम कर रही थी पर जैसे ही घड़ी देखी तो जल्दी से तैयार होकर कॉलेज जाने के लिये अपने कमरे से अभी निकली थी कि सामने भाभी मिल गयी और बोली--- ‘अरे, ये तूने कैसी ड्रेस पहनी हैं ?’ उसने खुद पर नजर डालते हुये उत्तर दिया ऐसा तो कुछ भी नहीं जो सब पहनते वही तो हैं... ये कह वो अभी सीढियां उतरी ही थी कि मम्मी बोली---‘ओ बेटी, ये किस तरह के पकड़े पहनते हो तुम सब आजकल हमें तो समझ नहीं आता??’ उसने कुछ कहने की बजाय फटाफट टेबल पर रखा नाश्ता खाया और दरवाजा खोल बाहर निकली कि सामने भाई आता दिखा तो बोला---‘सिस... तुमसे कितनी बार कहा कि कुछ भी उटपटांग पहन कॉलेज न जाया करो पर हो कि तुम समझती ही नहीं’ उसे इग्नोर कर उसने तुरंत अपनी स्कूटी स्टार्ट की और निकल पड़ी कि पीछे से किसी के सीटी बजाने की आवाज़ आई उसने गाड़ी रोक मुड़कर देखा तब तक वो आगे निकल गये थे तो मुंह बिचकाते हुये फिर आगे बढ़ी ही थी कि कुछ दूर चलने पर एक बाइक वाले ने बिल्कुल उसके नजदीक से गाड़ी निकली वो किसी तरह गिरते-गिरते बची और खुद को संभाल ज्यूँ कुछ दूर चली तो लगा जैसे किसी ने उपर से उस पर कुछ फेंका उसने उपर नजर की तो कोई नजर नहीं आया... फिर से अपने आपको संयत कर चलना शुरू ही किया था कि कुछ लड़को का समूह दिखा जो उसे देख कोई फूहड़ सा गीत गाने लगे... उनसे नजर चुरा वो जैसे-तैसे कॉलेज पहुंची पर, तब तक उसका सुबह वाला वो ताज़ा-तरीन खुशहाल मूड एकदम बिगड़ चुका था            
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२९ अक्टूबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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