शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

सुर-२७५ : "आता रहे बार-बार... दो अक्टूबर...!!!"


आसमां से टूटा सितारा
गिरा माँ के आँचल में
धन्य हुई धरा
धन्य सारा गगन और
हुये धन्य सभी देशवासी
कि भारतभूमि पर
एक ही दिन में जन्मी
दो महान विभूतियां
एक थे गुदड़ी के लाल तो
दूजे बने देश के भाल
जिनके त्याग समर्पण को
भूल न सकते हम अनंत साल
आज उनके जन्मोत्सव पर
कहते यही हम सब
'गांधी' और 'शास्त्री' जी
आ जाओ फिर से एक बार तो
करें व्यक्त आभार हम सभी देशवासी  
कि दिलाने हम सबको आज़ादी
आप देशभक्तों ने अपनी जान गंवा दी ।।
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मित्रों...,

आज है दो अक्टूबर का दिन
आज का दिन हैं बड़ा महान
आज के दिन दो फूल खिले थे
जिनसे महका हिंदुस्तान

वाकई ये एक ऐसा दिन जब इस देश में एक साथ दो त्यागी महापुरुषों का जनम हुआ जिनका कालखंड एवं परिवेश बहुत ज्यादा तो नहीं पर थोड़ा-सा ही सही अलग हैं क्योंकि जहाँ २ अक्टूबर १८६९ को गुजरात प्रांत के ‘पोरबंदर’ में ‘मोहनदास करमचंद गाँधी’ एक सामान्य परिवार में पैदा हुये जिन्हें कि हम सभी प्यार से ‘बापू’, श्रद्धा से ‘महात्मा’ और सम्मान से ‘राष्ट्रपिता’ कह संबोधित करते हैं तो इसी के लगभग ३५ बरस बाद आज ही के दिन ०२ अक्टूबर १९०४ को उत्तरप्रदेश के ‘मुगलसराय’ प्रांत में ‘लाल बहादुर शास्त्री’ भी एक एक साधारण परिवार में जन्मे तो इस तरह इनके जन्मकाल को देखने पर ज्ञात होता कि भले ही दोनों ने भारत देश की पावन भूमि में जनम लिया पर, उनके बीच एक लंबा अंतराल था साथ ही देश की दशा में भी काफ़ी अंतर था क्योंकि जिस तरह के मुश्किल हालातों का सामना ‘गांधीजी’ को करना पड़ा उतना ‘शास्त्री’ जी को नहीं लेकिन फिर भी दोनों के दिलों में अपने वतन के प्रति प्रेम व कुछ कर गुजरने का जज्बा बिल्कुल एक समान था तभी तो अपनी-अपनी तरह से दोनों ने ही अपने स्वदेश के लिये हर तरह का त्याग कर अपना जीवन समर्पित करने तक में गुरेज नहीं किया तभी तो आज के दिन उन दोनों का उतने ही आदर से स्मरण किया जाता जो ये बताता कि समय या परिवेश से नहीं बल्कि व्यक्ति अपनी सोच व कर्म से ही महान बनता... इसलिये तो समय भी उन्हें नहीं भूलता... सदा उनका गुणगान करता... इतिहास भी उनको अपने में दर्ज कर गौरवान्वित होता... फिर हम क्यों न बोले कि हम भी उनके ऋणी हैं और सदा रहेंगे कि उन्होंने हमारे लिये अपना सब कुछ निछावर कर दिया... दोनों को मन से नमन... जय हिंद... जय भारत... वंदे मातरम... :) :) :) !!!   
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०२ अक्टूबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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