रविवार, 15 जुलाई 2018

सुर-२०१८-१९५ : #हाय_हाय_ये_फैशन #जो_दूसरों_को_देता_टेंशन




“तुमने कल रात वो नहीं देखा जो मैंने देखा”, रहस्यमय तरीके से अपने मुंह को एकदम मेरे कानों के पास लाकर मेरी पड़ोसन मिसेज शुक्ला ने लगभग फुसफुसाते हुए कहा

जिसे सुनकर मेरे कान भी एकदम खड़े हो गये कि आखिर ऐसा क्या देख लिया इन्होने वैसे इनके रहते किसी घर की कोई भी बात या कॉलोनी में कुछ भी हो वो छिपा नहीं रह सकता यहाँ तक कि सी.सी.टी.वी. कैमरे भी इनके आगे फेल क्योंकि, वे तभी काम करेंगे जब ऑन रहेंगे या जहाँ तक उनकी दृष्टि जायेगी उतना ही देखेंगे पर, ये तो हमेशा ही चार्ज रहती और देखने के मामले में ईगल से भी तेज इनकी नजर हैं जो अँधेरे में भी अपने मतलब की चीज़ देख ही लेती और कोई पूछे न पूछे बताये बिना न मानती इसलिये पूछने का नाटक करना ही पड़ेगा वरना, यूँ ही भूमिका बना-बनाकर परेशान करती रहेंगी जिससे मुझे ऑफिस जाने में देर हो सकती हैं जबकि, अनेकों बार उन्हें मना कर चुकी कि मुझे ये सब पसंद नहीं और न ही मुझे किसी की कोई भी बात जानने में दिलचस्पी मगर, वो इसी वजह से मेरी सास की फेवरेट तो उसे नजरअंदाज करना मुश्किल अतः उसे जल्दी निपटाने के लिहाज से मैंने उतनी ही जिज्ञासा से आँखों को बड़ा करते हुये पूछा, “आखिर, ऐसा क्या देख लिया आपने बताइये तो जरा”

मैं हमेशा कहती थी न वो मिसेज अग्रवाल जो खुद को बड़ी अंग्रेजन समझती एक दिन उसकी बेटी जरुर कोई गुल खिलायेगी क्योंकि, जिस तरह के वो कपड़े पहनती और जिस तरह की उसकी लाइफ स्टाइल वो सब सभ्य घरों में रहने वाली लडकियों के चाल-चलन नहीं जी, हमारी भी तो बेटियां हैं मजाल जो उनका दुपट्टा सीने से सरक जाये या वो कोई उटपटांग ड्रेस पहन ले पर, ये तो मॉडर्न हैं जी तो बिना ऐसे-वैसे कपड़ों के कैसे लोगों को ये बताये

उनकी ये सब बातें मेरे भीतर खीझ पैदा कर रही थी तो उनको जल्दी-से अपनी बात कहने के लिये मैंने ऑफिस जाने की तैयारी करने का उपक्रम किया जिसे देख वो मेरे नजदीक आई और मुझे सोफे पर बिठाकर बोली, “ऐसी बातें जोर से नहीं बोली जाती इत्मीनान से बैठकर कान में कहने की बात हैं तब समझोगी कि ये कितनी गंभीर बात हैं”

अब मुझे सहन नहीं हुआ तो कहा, “आप को दूसरों के मामलों में टांग अडाने की जरूरत क्या उनके मसले हैं वो जाने ख़ास हो या आम”

“अरे, कैसे नहीं हैं जरूरत... वो हमारे पड़ोसी हैं और उनको देखकर कल को हमारी बेटियां बिगड़ गयी तो दोषी कौन होगा इसलिये सब पर नजर रखती हूँ ताकि, तालाब गंदा होने से पहले ही सड़ी मछलियों को निकाला जा सके”

जी, बहुत बड़ी समाज सेवा कर रही हैं आप एक दिन निश्चित ही राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करेंगी अच्छा अब बोलिये जो कहने आई तब उसने बड़े संशकित नजरों से पहले इधर-उधर देखा फिर बोली, “वो हैं न अग्रवालन की बेटी, कल रात उसके साथ रेप हो गया”

मैं झटके से खड़े हो गयी, “आपको किसी लड़की के बारे में ऐसा कहते शर्म नहीं आती, आपकी बातें सुनने का मतलब नहीं कि आप कुछ भी बोले जाये और किस आधार पर आप ये कह सकती हैं, किसी पर इतना घिनौना इलज़ाम लगा सकती हैं”     

तब वो भी तमतमाकर बोली, “जो देखा वही कह रही हूँ, कल रात जब वो आई उसका टॉप बांहों पर से और जींस घुटनों से फटे हुये थे जैसे फिल्मों में बलात्कार के समय हीरोइन के दिखाते तो मैं समझ गयी इसके साथ भी वही हुआ हैं”

मैं हंसने लगी, और बोली “अरे, वो तो आजकल का लेटेस्ट फैशन हैं आप भी न कुछ भी कहती रहती”

मेरा जवाब सुनकर वो अपने मुंह पर हाथ रखकर बोली, आग लगे इस मुये फैशन को जो लडकियाँ इतने गंदे कपड़े पहनती जो बलात्कार की पहचान छि...”

उनकी बातने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया... क्या ये गलत कह रही हैं ???
     
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१५ जुलाई २०१८

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