सोमवार, 23 जुलाई 2018

सुर-२०१८-२०३ : #बाल_गंगाधर_तिलक_और_चंद्रशेखर_आज़ाद #आओ_मनाये_दोनों_का_जन्मदिन_एक_साथ




इतिहास ही नहीं कैलंडर में भी आज की तारीख का विशेष महत्व हैं क्योंकि, ये वो दिन जब देश के दो महान क्रांतिकारियों का जन्मदिन एक साथ आता हैं और ये दोनों भारतीय इतिहास के इतने महत्वपूर्ण नाम हैं कि इनको भूला पाना नामुमकिन हैं इन्होने तो देश की खातिर अपना तन-मन-धन सब कुछ ही निछावर कर दिया बिना ये सोचे-समझे कि जिस स्वतंत्रता के लिये वे अपने प्राणों का उत्सर्ग कर रहे कल उसका उपभोग वे ही नहीं कर पायेंगे लेकिन, उनका ध्येय तो एकमात्र अपनी भारतमाता और अपनी जन्मभूमि को फिरंगियों के शासन से छुडाना था उनके इस लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में बहुत सारी बाधायें थी फिर भी वे घबराये नहीं अपने अलग-अलग मार्ग से चलकर वो अपनी मजिल तक पहुँचने का प्रयास करते रहे और ये उनके सतत प्रयासों का ही परिणाम था कि अंग्रेज देश छोड़कर जाने को विवश हुये और हमने आज़ादी पाई मगर, जिन्होंने इसे पाने अपनी जिंदगी गंवा दी उनको हम सबने बड़ी जल्दी भूला दिया

देश को स्वाधीन हुये महज़ ७० साल ही बीते जबकि, गुलामी में रहते हुये हमने इससे अधिक बरस बिताये लेकिन, जैसे ही पराधीनता की बेड़ियाँ कटी हमने आज़ाद भारत में आँखें खोली तो समझने लगे कि सदियों से ही ये सब कुछ ऐसा ही था इतिहास में जब इनके किस्से पढ़े तो उसे भी शायद, कहानी ही समझ लिया अन्यथा ये कैसे हो सकता कि फ़िल्मी कलाकारों की आत्मकथा तो लोगों को मुंह-जुबानी याद लेकिन, जब स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों का नाम पूछो तो बगलें झाँकने लगते या वहीं गिने-चुने नाम दोहरा देते उस पर भी उनकी आपबीती से तो नितांत अपरिचित ही समझ आते हैं माना कि बदलते परिवेश में हम अधिक व्यस्त व् सुविधाभोगी हैं और जिस माहौल में हम जन्में हमें मजबूरियों का वो दौर नहीं देखना पड़ा लेकिन, इसका ये मतलब कतई नहीं कि जो हमसे पूर्व जन्मे या जिन्होंने गुलामी की हवा में साँस ली और हमें आज़ाद भारत का तोहफा दिया हम उनके प्रति कृतध्न हो जाये ये सोचे कि वो उनकी और ये हमारी किस्मत का फेर जो हमको विपरीत परिवेश मिला

हमारा भी तो ये फर्ज़ बनता कि वे जो विरासत हमें सौंपकर गये हम उसकी रक्षा करें उसे आगे बढ़ाये और समृद्ध करें ताकि आगे आने वाली पीढियां हमें स्वार्थी न समझे जिन्होंने हर सुख-सुविधा और प्राकृतिक संसाधनों का स्वयं ही उपभोग कर लिया दूसरों के लिये कुछ भी न छोड़ा एक वो लोग भी थे हमसे पहले वाली पीढ़ी के जिन्होंने हम जैसों के लिये अपनी जान की कुर्बानी दे दी और हमें तो ये भी नहीं करना केवल जो वो हमें सौंपकर गये उसका ही सरंक्षण करना हैं यही इन वीरगति प्राप्त हमारे सच्चे नायकों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी जिसे समर्पित करने हमें संकल्पवान होना होगा और देश व देश के अपने भाई-बहनों के लिये देश की संपति की रक्षा करनी होगी आज ‘बाल गंगाधर तिलक’ व ‘चंद्रशेखर आज़ाद’ की जयंती पर हम यही विचार करें कि अब जबकि हमें अपने जान पर नहीं खेलना बस, देश को कुछ देना हैं तो वो क्या हो सकता जिससे कि देश उन्नति पथ पर आगे बढ़े क्योंकि, देश का विकास सिर्फ़ सरकार की जिम्मेदारी नहीं उसमें कण मात्र ही सही हम सबका भी योगदान जरुरी हैं

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२३ जुलाई २०१८

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