रविवार, 29 जुलाई 2018

सुर-२०१८-२०९ : #मन_मनचला_माने_न




न जाने
कैसा हैं वो
जिसे 'मन' कहते हैं
किसी मदारी जैसा शायद,
चलाये जो हमको
अपने इशारों पर हमेशा
या चित्रकार-सा
जिसकी इच्छा बिना नहीं
संवर सकता अक्स हमारा कभी
या फिर कोई नजूमी
जिसकी मर्जी से ही चलते
ग्रह-नक्षत्र हमारे
न जाने कौन हैं वो अदृश्य
जो बिना डोर के ही
कठपुतली जैसा हमें नचाता
मालिक नहीं फिर भी वो
अपना हुकुम चलाता
हम गुलाम की तरह बेबस
उसका आदेश मानते
इसे जीतना मुश्किल नहीं
फिर भी हारना चाहते
क्योंकि, अपनी मनमानी का हम
उस पर दोषारोपण कर
खुद पर कोई इल्जाम न चाहते
इसलिये जब न मिले कोई बहाना
या न हो कोई वजह दूसरी
मन को निशाना बना यही कहते,
मन, मनचला माने न...!!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२९ जुलाई २०१८

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