मंगलवार, 17 सितंबर 2019

सुर-२०१९-२६२ : #षड्यंत्रकारियों_को_पहचानो #अपने_धर्म_देश_के_रक्षक_बनो




दृश्य - ०१ : एक उच्च शिक्षित कॉलेज में प्रोफेसर स्त्री ने करवा चौथ मनाते हुए पूर्ण श्रृंगार सहित अपने पतिदेव संग पूजा करते हुए सोशल मीडिया पर फोटो क्या डाली बड़ी बिंदी गैंग, लिबरल्स, सो-कॉल्ड बुद्धिजीवी सब उसके पीछे पड़ गये कमेंट करने लगे इतनी पढ़ाई-लिखाई का क्या फायदा जब पढ़-लिखकर यही सब करना है, यदि एजुकेशन आपको पाखंड और आडम्बरों से दूर न कर सकी तो फिर वो व्यर्थ है, स्त्रियों को बरगलाकर पुरुष अपना हित साधते बताओ कोई एक व्रत जो पति करता हो तुम्हारे लिए पर, तुम नौकरी, बच्चों, घर को संभालते हुए आत्मनिर्भर होकर भी उसके लिए भूखी रही सारा दिन अब उसके खिलाने पर व्रत तोड़ोगी इन्ही सब बातों ने तो महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका हुआ है ब्ला... ब्ला... ।

दृश्य - ०२ : रांची विश्वविद्यालय के कॉन्वोकेशन में मारवाड़ी कॉलेज का ग्रेजुएशन सेरिमनी चल रहा था जिसमें कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू टॉप ग्रेजुएट को सम्मानित करने मंच पर थी और सबसे पहले ओवरऑल बेस्ट ग्रैजुएट स्टूडेंट ऑफ द ईयर 'निशात फातिमा' का नाम पुकारा गया तो 93.50 परसेंट लाने वाले निशात बुर्का पहने हुए अपना गोल्ड मेडल और सर्टिफिकेट लेने स्टेज पर पहुंची तो उन्हें सेरेमनी के लिए निर्धारित ड्रेस कोड में आने को कहा गया लेकिन, निशात बगैर बुर्का पहने मेडल लेने से इनकार कर दिया और वापस लौट गई जिस पर उनके विभागाध्यक्ष का कहना है कि रांची यूनिवर्सिटी की तरफ से निर्धारित ड्रेस कोड में ही डिग्री दिया जाना था और जो कि निषाद ने ड्रेस कोट पहनने से इनकार किया इसलिए प्रोटोकॉल के तहत उसे डिग्री नहीं दी गई लेकिन, वह कभी भी कॉलेज आ कर अपना गोल्ड मेडल और डिग्री ले सकती हैं ।

चूंकि, मामला धर्म नहीं मज़हब और समुदाय विशेष से जुड़ा था तो पुनः वही बड़ी बिंदी गैंग, सो कॉल्ड बुद्धिजीवी, लिबरल्स और बिकाऊ मीडिया फिर चालू हो गया पर, इस बार भी उनके निशाने परवही थे जिनको लताड़ने का कोई अवसर वे नहीं जाने देते और उनकी सहानुभूति का पात्र भी वही जिनको पुचकारने का मौका वे ढूंढते रहते मगर, शब्द बदल गये थे अब उनको इस 93.50 प्रतिशत लेने वाली के परिधान से कोई आपत्ति नहीं उनके अनुसार वो उसकी चॉइस का मामला है पर, जो पूजा-पाठ, व्रत-उपवास में सिंदूर लगाये, मंगलसूत्र पहने, अपने रीति-रिवाजों परम्पराओं का पालन करें उसको अपनी मर्जी करने का कोई हक नहीं है अन्यथा उसकी शिक्षा बेकार है पर, ये कितना भी पढ़-लिखकर अपनी मान्यताओं से जकड़े रहे उससे कोई समस्या तो छोड़ो ऐतराज तक नहीं आखिर, इनकी ट्रेनिंग ही ऐसी हुई ये क्या करें इन्हें केवल एक ही धर्म और उसके अनुयायियों से दिक्कत और उनको ट्रोल करने के लिए विशेष तौर प्रशिक्षित किया जाता व विशेष अनुदान, सम्मान भी दिया जाता तो फिर क्यों न पूरी ईमानदारी से वे दिन-रात इस सेवा में न लगे रहे समझना तो हमको कि ये इनका षड्यंत्र जिसके तहत ये काम करते तो इनको इग्नोर करते हुए अपने धर्म पर डिगे रहो अपने रिवाजों का पालन करो न कि आधुनिकता के चक्कर में कपड़े पहनना ही छोड़ दो बल्कि, इनसे सीखो किस तरह ये विदेश में रहकर भी अपनी परम्पराओं से जुड़े रहते है और एक हम अपने ही देश में अपने त्यौहार इनके निर्देशानुसार मनाते ।


कभी देखा किसी समाचार पत्र को जिसने बकरी ईद या मोहर्रम पर कोई मुहिम चलाई हो या कोई अपील की हो कि, मिट्टी का बकरा बनाकर कटा जाये या ताजिये से पर्यावरण को खतरा तो कृपया प्रतीकात्मक रख लिए जाए मगर, होली, दीवाली, नवरात्र, गणेशोत्सव, छठ या कोई पर्व हो इनकी हिदायत शुरू हो जाती जैसे सारी पृथ्वी की चिंता इनको ही है, यही सबसे बड़े पर्यवारण शुभचिंतक है जबकि, असलियत तो ये है कि इन सोशल कॉज के रैपर में छिपाकर अपने एजेंडे को पूरा करना है ।

दृश्य -०३ : नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित पाकिस्तान की शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने सोशल मीडिया के जरिये संयुक्त राष्ट्र से अपील करते हुए कहा कि वह घाटी में प्रतिबंधों के बीच जम्मू और कश्मीर के स्कूलों में बच्चों की वापसी में मदद करें. इसके साथ ही मलाला ने कहा, 'मैं संयुक्त राष्ट्र से आगे आकर कश्मीर में शांति की दिशा में काम करने, कश्मीर के लोगों की आवाज को सुनने और बच्चों को सुरक्षित स्कूल जाने में मदद करने के लिए अपील करती हूं.' मलाला ने भारत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि घाटी के हालात पर पत्रकारों, मानवाधिकार वकीलों और छात्रों सहित सभी क्षेत्रों के कश्मीरियों ने नाराजगी जताई है ।

ये वही मलाला है जिन पर इनके अपने ही देश के कुछ लोगों ने पढ़ने की वजह से गोलियां चलाई पर, आज तक अपने देश के खिलाफ मुंह न खोली जबकि, इस देश में ऐसे अनेक गद्दार जो यहीं का खाते पर, उन्हें अपने देश में डर लगता और जब मुंह खोले इसकी बुराई ही निकलती यहीं नहीं इन मलाला को अपने देश के अलोसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार, धर्म-परिवर्तन, उत्पीड़न नहीं दिखता चाहे कोई सामने आकर दुहाई दे या कितनी भी मदद की गुहार लगाये इनको न सुनाई देता, न दिखाई देता और न ही कोई फर्क पड़ता इस मामले में मानना पड़ेगा पक्की देशभक्त है इनसे यही सबक हमारे यहां के दगाबाज नहीं सीखेंगे वे तो ऐसे बयान देंगे जिनसे पकिस्तान का फायदा हो जिसे वो टीवी पर चलाकर दुनिया के सामने भारत को गलत साबित कर सके और ये कोई नई बात नहीं इतिहास में ऐसे अनगिनत मक्कारों का उल्लेख लेकिन, खुशी की बात कि इसके साथ ही इससे कई गुना अधिक देशभक्तों की वीरता गाथाएं जो आज भी लोगों को प्रेरित करती है ।

दृश्य – ०४ : आज अभी कुछ देर पूर्व ही कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने भोपाल में कहा कि, “भगवा वस्त्र पहनकर लोग चूरन बेच रहे हैं। भगवा वस्त्र पहनकर बलात्कार हो रहे हैं। मंदिरों में बलात्कार हो रहे हैं। उन्होंने पूछा क्या यही हमारा धर्म है। कांग्रेस नेता ने कहा कि जिन्होंने हमारे सनातन धर्म को बदनाम किया है, उन्हें ईश्वर भी माफ नहीं करेगा” । इनका इसी तरह का ब्यान कोई नया नहीं इनकी तो आदत है ऐसा कहते रहने की और इसी के इनको पैसे मिलते तो ये तो इनका फर्ज बनता कि अपने आकाओं का काम ईमानदारी से करें इसलिये इन्हें आपने कभी हरे या सफेद रंग पर कुछ भी कहते न सुना होगा भले ही मस्जिदों, मदरसों या चर्चो में कितने भी रेप हो जाये पर, जुबान पर ज़िप बकायदा कसकर लगी रहेगी जो किसी तरह से न खुलेगी लेकिन, बात भगवे रंग की हो तो फिर चाहे किसी भी हाल में हो चुप न बैठेंगे जनाब भगवा से  चुनाव हारने के बाद भी इन्हें इल्म नहीं कि अब लोगों ने इनको पहचान चुके इनकी सच्चाई जान चुके तो बकते रहो जो बकना किसी को परवाह नहीं क्योंकि, देश के लोग अब इनके झांसों में नहीं आने वाले वे सच या झूठ को जानते यदि कोई आरोपी तो फिर चाहे वो कोई दल या रंग का हो उनकी नजरों में वो गुनाहगार ही होता है   

ये विरोधी लोग और उनके कमेंट्स साबित करते कि, इनकी असली समस्या राष्ट्र, राष्ट्रभक्त, हिन्दू और सनातन धर्म है इसलिये हमको ही अपने धर्म, अपने सिद्धांतों, अपनी मान्यताओं, रीति-रिवाजों, परम्पराओं, तीज-त्यौहारों व उनकी वास्तविकता को समझे इनके कुतर्कों में न आये बल्कि, जिस तरह ये अपनी पाबंदियो के प्रबल सर्मथक किसी भी कीमत पर उनको छोड़ने तैयार नहीं हम भी ऐसे ही बने और जो कमजोर इनके षड्यंत्रों का शिकार उनको समझाये कि इन्हें तो ऐसा करने नियुक्त किया जिसके लिये इन्हें ईनाम मिलता पर, तुम्हारा तो दीन-ईमान सब लुट जाता जबकि, ‘श्रीमद्भाग्वात्गीता’ भगवान् के श्रीमुख से निकली वाणी में ये स्पष्ट कहा गया कि, “दूसरों का धर्म कितना भी मनमोहक हो पर, अपने पथ से डिगना नहीं अपने धर्म में मरना भी श्रेयस्कर है”  

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
सितम्बर १७, २०१९