साथियों... नमस्कार...
‘कल्याणी’ तू समझती क्यूँ नहीं, ये तेरी दूसरी
शादी हैं ऐसे में तुझे इसी तरह के रिश्ते मिलेंगे जिनकी शादी या तो टूट गयी हैं या
उनकी पत्नी नहीं रही किसी अविवाहित का रिश्ता मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हैं...
तेरी उम्र थोड़ी कम भी होती न, तब भी ये संभव नहीं था उस पर हम लोग मिडल क्लास लोग
तो जो भी मिल जाये उसे ही ख़ुशकिस्मती समझते हैं अब मान भी जा वैसे भी तू ही कौन-सी
वर्जिन हैं...
अपनी बचपन की सहेली ‘शीना’ की बात जैसे हथोड़े की
तरह उसके कानों में पड़ी जिससे उसे ये उम्मीद नहीं थी तो इस चोट से बरसों का जमा
लावा पिघलकर जुबान पर आ ही गया, माना, मेरी एक बार शादी हो चुकी लेकिन तू अच्छे से
जानती हैं वो एक बेमेल विवाह था जो इसी तरह बढ़ती उम्र, छोटे भाई बहनों की
जिम्मेदारी का दबाब डालकर कराया गया था जिसके कारण मुझे न सिर्फ शादी बल्कि मर्दों
से भी नफ़रत हो गयी फिर दुबारा वही नहीं झेलना चाहती इसलिये किसी अविवाहित से ही
शादी करने की शर्त रखी जो हम जैसे साधारण परिवार वालों के लिये मुमकिन नहीं इसके
बावज़ूद भी मैं वर्जिन हूँ क्योंकि भले ही उसने मेरे तन को छुआ लेकिन उन दो सालों
में कभी भी वो मेरे मन, मेरी रूह को नहीं छू पाया तो ऐसे में तू ही बता मैं ‘शादीशुदा
वर्जिन’ हुई या नहीं... बोल न...
‘शीना’ क्या बोलती बस, ‘कल्याणी’ को सीने से लगा
लिया... और मन ही मन सोचने लगी कि अधिकांश मेरिड वीमेन क्या ऐसी ही नहीं???
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© ® सुश्री
इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१२ अप्रैल २०१७
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