ऐसा कोई दिन
नहीं होता जब अख़बारों या समाचार चैनल में किसी बेटी के साथ होने वाले दुर्व्यवहार
की खबर न हो जिसमें ज्यादातर मामलों में लड़की को न्याय मिलता मिलता ही नहीं और यदि
मिलता भी तो इतनी देर हो चुकी होती कि वो अन्याय ही लगता उस पर यदि अभियुक्त
सत्ताधीन या शक्तिशाली हो तो फिर इंसाफ भूल ही जाओ उसकी जान बच जाये वही गनीमत है
कि ऐसे लोगों के खिलाफ खड़ा होना मौत को आमंत्रित करने जैसा होता है । ताजा-तरीन उन्नाव दुष्कर्म केस में हम सबने इस बात को सत्य प्रमाणित
होते देखा जिसने देश की बाकी बच्चियों के दिलों-दिमाग पर इतना गहरा प्रभाव छोड़ा कि
वे भी अब खुद को लेकर चिंतित हो गयी है और उन्हें भी लगने लगा है कि यदि दुर्भाग्य
से कभी उनके साथ ऐसा कुछ हो गया तो उनको भी कानून के पास जाकर शिकायत करना और
अदालतों से न्याय की उम्मीद लगाना किसी काम का नहीं क्योंकि, वो तो उन रसूखदार दुष्कर्मियों
की जेब में पड़ा रहता जिसे खरीद पाने की उसकी क्षमता नहीं है ।
नन्ही-नन्हीं
बच्चियों के मन में इस तरह का ख्याल भी आना कितना खतरनाक और भयावह है हम सबको अब
ये समझने की आवश्यकता है और यदि हम सबने इस स्थिति को अभी भी नजरअंदाज किया तो आज
जो महज़ एक कल्पना वो आने वाले भविष्य की काली तस्वीर भी हो सकती है और शायद, उस
वक़्त उसको नियंत्रण में करना संभव न हो इसलिये यदि आज हमारी बेटियां ऐसे सवाल कर
रही है तो उनके जवाब भी हमें आज ही खोजने होंगे अन्यथा कल हो सकता बेटियां कोख में
आने से ही इंकार कर दे कि उनके प्रश्नों के उत्तर देने वाला जो कोई नहीं बचा है ।
कल बाराबंकी में यू.पी. पुलिस इसी तरह की
घटनाओं के लिये एक स्कूल में ‘बालिका जागरूकता कार्यक्रम कर रही थी तथा पुलिस
लड़कियों को छेड़छाड़ की शिकायत के लिए एक हेल्पलाइन नंबर दे रही थी तभी एक बिटिया ने कानून से जो सवाल पूछे
वे बेहद महत्वपूर्ण है और हर किसी को इनकी न केवल जानकारी होनी चाहिये बल्कि, इनके
जवाब भी खोजने चाहिये क्योंकि, कल उस बच्ची के सामने कानून लाचार नजर आया उसे कोई
संतोषजनक उत्तर नहीं दे आया जो कि बेहद अफसोसजनक है ।
इसी दौरान उस
स्कूली छात्रा ने जो शंकायें व्यक्त की उन सवालों से पुलिस की बोलती ही बंद कर दी उसने
कहा कि, उन्नाव की एक लड़की ने शिकायत की तो उसके पूरे परिवार को ट्रक से उड़ा दिया
गया. ऐसे में अगर छेड़खानी करने वाला कोई ताकतवर आदमी हो तो शिकायत कैसे करें?
उसके बाद छात्रा
ने कहा, 'सर, जैसा आपने कहा कि हमें डरना नहीं चाहिए और आवाज उठानी चाहिए, विरोध
करना चाहिए तो सर मेरा यह सवाल था कि थोड़े दिन पहले एक नेता ने एक लड़की का रेप
किया और फिर उसके पिता कि एक्सीडेंटली मौत हो गई जबकि, ये सबको पता है कि उसके
पिता की जो मौत हुई वह ऐक्सिडेंट नहीं था ।
आगे वो बोली, इसके
बाद रेप पीड़िता लड़की की गाड़ी को ट्रक ने टक्कर मार दिया गया तब भी हर किसी को
पता है कि ये कोई एक्सीडेंट की घटना नहीं है ट्रक की नंबर प्लेट को छुपाया गया था जिससे
साबित होता कि सामने वाला अगर साधारण व्यक्ति हो तो विरोध किया जा सकता है,
लेकिन अगर वह एक नेता है या पावरफुल व्यक्ति हो
तब क्या करना चाहिए?
उसने ये भी कहा
कि, जैसा हमने निर्भया के मामले में देखा हम विरोध जताते हैं तो क्या गारंटी है कि
हमें इंसाफ मिलेगा? क्या गारंटी है
कि मैं सेफ रहूंगी? क्या गारंटी है
कि मेरे साथ कुछ नहीं होगा?
इस पर हालाँकि,
पुलिस अधिकारी ने कहा कि निश्चित रूप से बालिकाओं की सुरक्षा बढ़ेंगी और वह जागरूक
होंगी व अपनी आवाज को उठाएंगी लेकिन, इसमें कहीं भी वो सांत्वना या संतुष्टि नहीं
थी जिसकी अपेक्षा उस मासूम को होगी ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी कि हम ऐसा माहौल
तैयार करें जिसमें बच्चियां बेख़ौफ़ होकर जी सके न कि आने साथ होने वाले अपराधों के खौफ
में ही जीती रहें जैसा कि वर्तमान में हो रहा है ।
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© ® सुश्री इंदु
सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
अगस्त ०२, २०१९
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