शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

सुर-२३५ : #हाथी_घोड़ा_पालकी_गूंजेगा #घर_घर_से_कान्हा_निकलेगा




भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी की काली अंधियारी रात में वासुदेव अपने लल्ला को उफनती यमुना के बीच में से शेषनाग की छैय्या की तले लेकर चले तो समस्त ब्रम्हांड से उनके जयकारे के समवेत स्वर के साथ ही उन पर आकाश से पुष्पों की वर्षा होने लगी उनके नन्हे-नन्हे पाँव को छुने लहरें मचलने लगी और पृथ्वी उनके आगमन से धन्य हुई जिसकी करूण प्रार्थना सुनकर जगतपालक स्वयं बालरूप धरकर धरा पर आये थे

फिर जब उन्होंने अद्भुत मनोहारी बाल लीलायें की तो वसुंधरा भी उनकी चरणधूलि बनकर अपने भाग्य पर इतराने लगी कि लोग उस रज को माथे से जो लगाने लगे थे और बाल-गोपाल उसके लड्डू बनाकर भी खा रहे थे यही नहीं गायें भी रंभाकर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करने लगी कि नन्हा कान्हा उनका उद्धारक भी तो बना जो ग्वाला बनकर उनको चराने ले जाता तो उनके दुग्धपान करे बिना तृप्त ही नहीं होता था

इस तरह एक अन्य अवतार लेकर विष्णु ने शेष जो उनकी कृपा से वंचित रह गये या जिनको उनका सानिध्य प्राप्त नहीं हुआ उनको भी अपने स्नेह का आशीष और अपनी शरणागति का वरदान देने तो धरती को असुरों के भार और जन-जन को उनके भय से मुक्त करने आये थे जिनके आगमन मात्र से भूलोक के आधे कष्ट मिट गये थे कि उस घनघोर काली रात्रि में वे पूर्ण चन्द्रमा की भांति रौशनी का आभामंडल अपने साथ जो लाये थे   

यूँ तो उनका हर स्वरुप मोहक था तभी तो वे मनमोहन कहलाये लेकिन, बालरूप जितना आकर्षक था उतना उसके पूर्व दिखाई न दिया कि द्वापर के अंत और कलयुग की शुरुआत के पहले का ये संक्रमण काल ऐसा था जब आसुरी शक्तियाँ अत्यंत प्रबल थी तो बाल्यकाल से ही उनका सामना इनसे हुआ जिसको पराजित कर उनकी शक्तियाँ ही नहीं तेज में भी उत्तरोतर वृद्धि होती गयी और गोपियों की प्रेम भक्ति उनके सौन्दर्य को निखारती गयी कि वे सोलह कला युक्त पूर्णावतार जो थे

आज पांच हजार साल से अधिक व्यतीत हो गये मगर, आज भी हर एक माता-पिता अपनी सन्तान चाहे वो बालक हो या बालिका उसे एक न एक बार मोर मुकुट धारी रूप में माखन-मिश्री खाते हुये जरुर देखना चाहते कि वो केवल एक भगवान की नहीं बल्कि, एक ऐसी छवि थी जिसमें हर कोई अपने लड्डू गोपाल के दर्शन कर सकता इसलिये उन्हें खोजने कहीं जाना नहीं पड़ता न ही कठिन साधना या तपस्या करनी पडती वे तो सिर्फ, माखन के भोग से ही प्रसन्न हो जाते है  

ऐसे लघु से विराट स्वरुप धारी... विष्णु अवतारी के प्रकटोत्सव की सबको बधाई... !!!
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अगस्त २३, २०१९

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