मंगलवार, 13 अगस्त 2019

सुर-२०१९-२२५ :#प्रचलित_मापदन्डों_से_हटकर #लोकमाता_रानी_अहिल्याबाई_होल्कर




न जाने अबला, कमजोर या बेबस कब नारी के पर्याय बना दिये गये जबकि, इस देश के इतिहास ही नहीं हर क्षेत्र में उनका योगदान बहुमूल्य है और उन्होंने सभ्य समाज की नींव रखी होगी इसमें संदेह नहीं क्योंकि, जिस तरह से वो समायोजन कर हर एक कार्य को दक्षता के साथ कर सकती है वैसा पुरुषों के द्वारा सम्भव नहीं है

शायद, यही वजह कि उसकी इन खूबियों को देखते हुये ही आदमी ने ऐसे शास्त्रों व ग्रन्थों का निर्माण किया व करवाया जिनके माध्यम से इस तरह की भ्रामक जानकरियां प्रसारित-प्रचारित की गयी कि औरत की सीमा घर की दहलीज तक है, लज्जा उसका गहना है और रसोई व घर ही उसकी कर्मस्थली तो उसी परिपाटी का पालन करते हुये उसकी असीमित सम्भावनाओं पर ताले जड़ दिये गये, उसके पाँव में बेड़ियाँ तो दरवाजों पर कुण्डी लगा दी गयी और उसे गृहस्थी के तमाम कामों में इस कदर उलझा दिया गया कि उसके पास अपने बारे में सोचने तक की फुर्सत शेष न रही और यदि कुछ समय बाकी बचा भी तो वो कल की चिंता में व्यय हो गया

चूँकि, उसे अपना दिमाग इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं थी तो वो जो दूसरों ने कह दिया उसका ही अक्षरशः पालन करती थी और जो अपनी तर्क क्षमता से इन प्रचलित धारणाओं को काटने का प्रयास करती तो उनको बिगड़ी-मुंहफट औरतों के नाम से घर-बाहर में फेमस कर दिया जाता व उनसे बचकर रहने की सलाह दी जाती यही वजह कि लम्बे समय तक स्त्रियाँ चूल्हे-चौके से आगे नहीं बढ़ पाई पर, इनके बीच ऐसे भी महान नारियां हुई जिन्होंने इस अवधारणा को पुर्णतः ध्वस्त कर दिया और ये सिद्ध किया कि बाहुबल हो या बौद्धिकता वो किसी में भी कम नहीं है

आवश्यकता पड़ने पर चूड़ी वाले हाथ तलवार भी उठा सकते है जिन्हें कोमल कहकर उसे अपनी ही इस ताकत से अनजान और शिक्षा से वंचित रखा गया पर, धीरे-धीरे चंद महिलाओं ने अपनी मर्यादा को कायम रखते हुये न केवल घर की चारदीवारी बल्कि, रवायतों की चौखट भी लांघी जिसके बाहर आकर उसने जाना कि वो सब कुछ जिसे हव्वा बनाकर उसे डराया जाता वो महज़ एक छलावा, एक जाल है जिसमें उलझाकर उसे पीछे धकेल दिया गया तभी शायद, वो उस दूरी को जल्द-से-जल्द लांघ लेना चाहती जो उसके व मर्दों के बीच है और इसलिये उसने जमीन हो या आसमान या अन्तरिक्ष हर जगह अपने पाँव जमा लिये और ये साबित किया कि वो सब कुछ कर सकती यदि उसे भी समान अवसर व समान अधिकार मिले और जब वे नहीं मिले तो उन्हें हासिल करने भी उसके कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जिसके बूते पर आज वो शिक्षा, विज्ञान, अंतरिक्ष, राजनीति, वाणिज्य आदि सभी कार्यक्षेत्रों में अपना परचम लहरा रही है        

इसके लिये जिन आदर्शवादी स्त्रियों का नाम लिया जाता है उनमें इंदौर की महारानी ‘अहिल्याबाई होल्कर जी’ प्रथम पंक्ति में है जिन्होंने उस दौर में प्रचलित मापदन्डों से अलग हटकर अपनी वो छवि बनाई जिसने ये दर्शाया कि एक स्त्री यदि कुशलतापूर्वक परिवार की बागड़ोर संभाल सकती है तो वो उसी दक्षता के साथ राजपाट और जरूरत पड़ने पर युद्ध के मैदान में अस्त्र-शस्त्र भी चला सकती है और अपने अद्भुत कौशल व सफलतापुर्वक किये गये अनुकरणीय शासन संचालन से उन्होंने इसे सत्य प्रमाणित किया जो आगे आने वाली पीढ़ियों की औरतों के लिये मिसाल बना जिसे भूलाना या जिससे अनभिज्ञ रहना अपनी जड़ों से विलग होना है अतः अब समय है कि, हम इन सशक्त नारियों की असल कहानियों से जुड़े उन्हें पढ़े और वैसा बनने का प्रयास करें न कि आज की थोपी हुई गलत छवियों को अपना आइडियल माने जो ऊपर से भले कामयाब दिखाई देती हो मगर, भीतर से एकदम खोखली होती तभी तो लम्बे समय तक अपनी छाप नहीं छोड़ पाती है जबकि, ये सदियों सालों से आज भी उतनी ही प्रासंगिक है और घर-बाहर की जिम्मेदारी निभाते हुये एक संतुलित जीवन का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करती है

आज पुण्यदिवस पर उनको शत-शत नमन... !!!     
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अगस्त १३, २०१९

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