मंगलवार, 6 अगस्त 2019

सुर-२०१९-२१८ : #देश_का_युवा_प्रतिनिधि_कैसा_हो #जामयांग_सेरिंग_नामग्याल_जैसा_हो




देश की संसद ही नहीं सोशल मीडिया में भी पक्ष-विपक्ष होता जो हर मुद्दे पर अपनी राय देता जिसमें कुछ भी गलत नहीं लेकिन, कुछ लोगों को तो वर्तमान सरकार और अपने देश के प्रधानमंत्री से इतनी ज्यादा नफ़रत है कि उनके हर काम में मीन-मेख निकालना उसे गलत बताना उनके जीवन का एकमात्र ध्येय लगता जिसके लिये वे किस भी हद तक ही नहीं पाकिस्तान की शरण तक में जा सकते क्योंकि, घृणा ने इनके भीतर इस कद्र स्थायी पैठ बना ली कि इनको न तो देश दिखाई देता और न ही उसके हित में किया गया कोई काम ही सार्थक लगता इनको तो हर हाल में उनके निर्णयों में से नेगेटिव पोइंट को खोजकर अपने आप को सही सबित करना होता इसलिये कल जब से 370 को हटाने का संकल्प लिया गया इनको मानो करंट लग गया तभी से बिलबिला रहे और इस तरह जता रह मानो इनके सिवा कश्मीरियों का हितैषी कोई दूसरा नहीं इसलिये जब इन्हें इस मसले पर विरोध करने कोई भी बिंदु नहीं मिला तो खुद से कल्पित मुद्दे गढ़कर सरकार समर्थकों को सम्बोधित करते हुये लिखना शुरू कर दिया कि, वहां की लडकियों या प्रॉपर्टी को लेकर अभ्रद टिप्पणी न करें जबकि, वास्तविक धरातल में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा या फिर हमारी मित्रता सूची में ही ऐसे लोग नहीं जो इस तरह की कुत्सित मानसिकता रखते हो तो उनका यह कदम यही साबित करता कि इन्हें तो किसी भी बहाने केवल सरकार को कोसना है जब कुछ नहीं मिलता तो स्वयं ही अपने से कुछ भी रच लेते है

कभी कश्मीरियों के बहाने से तो कभी समाज सुधारक या हितैषी बनकर अपने एजेंडे को साधने में लगे हुये जबकि, हकीकत में देखा जाये तो इनका न तो जमीन से और न ही देश से ही कोई जुड़ाव महज़ अपनी भड़ास निकालना ही उद्देश्य तभी तो इन्हें वो भी नजर आ रहा जो न तो कहीं घटित हो रहा और न ही उसकी सम्भावना ही नजर आ रही क्योंकि, जो इस भूमि से इसकी जड़ों से जुड़े उनको पता कि सच्चाई क्या है और इसका प्रमाण खुद एक युवा ही नहीं बल्कि, संसद बनकर चुने गये एक जनप्रतिनिधि से अपनी ओजपूर्ण वाणी से दिया जो उस धरती का पुत्र जहाँ के लिये ये फैसला लिया गया याने कि लद्दाख का लाड़ला जब उसने बोलना शुरू किया तो अपने भाषण से उसने हर एक देशवासी का दिल जीत लिया और ये बता दिया कि यदि देश का युवा वर्ग उनकी ही तरह अपने देश की आत्मा से कनेक्ट होगा तो वो उसकी पीड़ा को भी उसी तरह महसूस करेगा जिस तरह वो अपने किसी करीबी के दर्द को बिना कहे ही समझ लेता जैसा किये सरकार भी कर रही और उसने भी किया कि जम्मू-कश्मीर व लद्दाख पर सही प्रतिक्रिया वही दे सकता जो उस जगह का प्रतिनिधित्व करता हो न कि जिसने चंद झूठी किताबों को पढ़कर नेरेटिव सेट किया हो तो यही हुआ जब लद्दाख का बेटा बोला और धीरे-धीरे जिस तरह से उन्होंने अपनी बात रखी तो उन्हें पूरा सुनकर लगा कि ये जो कहा गया वो इन डिजाइनर रुदालियों के किताबी शब्द नहीं बल्कि, भोगा हुआ यथार्थ है जो दिल से निकलता और दिल तक पहुंचता है इसलिए आज हर जगह उसी का चर्चा है  

उन्होंने कहा कि, “71 साल तक लद्दाख को बिलकुल नहीं अपनाया गया। हम लोगों ने पहले कहा था कि हमें जम्मू-कश्मीर के साथ नहीं रखा जाए, किन्तु हमारी सुनवाई नहीं हुई, जिससे हमारा विकास नहीं हुआ। मैं करगिल से आता हूँ और मैं गर्व से कहता हूँ कि हमने UT के लिए वोट किया” । उनकी ये बात बताती कि जैसा ये वामपंथी या विरोधी कह रहा वो केवल उनका अपना मत है उसमें उनकी राय शामिल नहीं जो वास्तव में इसका हिस्सा है

यही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि, “UPA ने साल 2011 में कश्मीर को एक केंद्रीय विश्वविद्यालय दिया, जम्मू लड़ा और केंद्रीय विश्वविद्यालय हासिल किया। मैं छात्र यूनियन का लीडर था हमने लद्दाख के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय की मांग की थी लेकिन हमें कोई केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं दिया गया। पीएम मोदी ने हाल ही में हमें विद्यालय दिया मोदी है तो मुमकिन है। जो ये बताता कि सच्चाई वो नहीं जो हमें दिखाई जाती रही बल्कि, ये जो हमसे छिपाने की कोशिश की गयी मगर, आखिर कब तक छिपती एक दिन तो उसे सामने आना ही था

इसके अलवा जिन्हें लग रहा कि कश्मीर व लद्दाख को विकास या मुख्यधारा में जोड़ना सिर्फ सरकार का बहाना उन्हें ये जरुर जानना चाहिये जो शेरिंग नामग्याल ने आज लोकसभा में कहा कि, “यदि लद्दाख आज अविकसित है तो इसके लिए आर्टिकल 370 और कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है लद्दाख के लोग केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के लिए सात दशकों से संघर्ष कर रहे हैं लद्दाख की भाषा, संस्कृति अगर लुप्त होती चली गई तो इसके लिए अनुच्छेद 370 और कांग्रेस जिम्मेदार है” तब ये जाने कि इसके पहले जो सरकारें बनी या जो इस धारा की हिमायती इसमें केवल उनका स्वार्थ निहित है

बहुत से लोगों को ये लिखते देख रही कि ये एकदम गलत निर्णय इससे बहुत दूरगामी परिणाम भुगतने होंगे तो उनके लिये भी जामयांग ने कहा कि, इस निर्णय से क्या नुकसान होगा? सिर्फ दो परिवार रोजी-रोटी खोएंगे और कश्मीर का भविष्य उज्जवल होने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि करगिल के लोगों ने यूनियन टेरिटरी के लिए वोट किया था। कुछ लोग चिंतित हैं कि उनका झंडा चला गया। उन्हें बता दूं कि लद्दाख के लोगों ने 2011 में ही वह झंडा हटा दिया था। लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डिवेलपमेंट काउंसिल ने उसी समय प्रस्ताव पारित करके उसे हटा दिया था क्योंकि हम भारत का अटूट अंग बनना चाहते थे”।           

आन देश की शान देश की देश की संतान है ।
तीन रंगों से रंगा तिरंगा, अपनी यह पहचान

अपने भाषण के आख़िर में उन्होंने विपक्षी सांसदों की ओर देखते हुए कहा,

"देश के लिए प्यार है तो जताया करो, किसी का इंतज़ार मत करो”
"गर्व से बोलो जय हिंद, अभिमान से कहो भारतीय हैं हम”
“स्वाभिमान से कहो- भारत माता की जय और वर्तमान में करो इस बिल का समर्थन"

यदि देश का युवा ऐसा है तो हमें चिंता की कोई जरूरत नहीं भारत का भविष्य सही हाथों में है और उज्ज्वल भी है

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अगस्त ०६, २०१९

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