सोमवार, 5 अगस्त 2019

सुर-२०१९-२१७ : #श्रावण_सोमवार_विथ_नाग_पंचमी #आज_जम्मू_कश्मीर_से_धारा_३७०_हटी




सावन का महीना तो हर बरस आता और उसके साथ ही सोमवार भी जो विशेष होते कि इन मास से जुड़कर उनकी महत्ता बढ़ जाती पर, इस साल जिस तरह से इसकी आमद हुई वो एकदम अलहदा है जिसका अहसास हर बीतते सोमवार के साथ होता जा रहा कि प्रथम सोमवार हमारे देश ने ‘चन्द्रयान-2’ की लॉन्चिंग कर समस्त देशवासियों को गौरवान्वित होने का शुभ अवसर दिया तो द्वितीय सोमवार ‘तीन तलाक बिल’ का पास होना सभी मुस्लिम बहनों के लिये खुशखबर लेकर आया और आज जब तीसरा सोमवार आया तो जो पिछले 70 बरसों से नामुमकिन था आज न केवल मुमकिन हुआ बल्कि, इस एक निर्णय ने इतिहास रच दिया और हम सब इन लम्हों में जिस तरह से गर्व व हर्ष का अनुभव कर रहे उसे शब्दों में बयाँ कर पाना संभव नहीं कि हम वो पीढ़ी जिसने आज़ादी की खुली हवा में सांस ली तो उन पलों के रोमांच की केवल कल्पना ही कर पाते जब हमारे राष्ट्र ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर स्वतंत्रता पाई थी मगर, आज हम न केवल अपने ही देश के एक हिस्से को आज़ाद बल्कि, कश्मीर से कन्याकुमारी कथन को सत्य प्रमाणित होते हुये भी देख रहे है और वे युवा जो कहते थे ‘लेकर रहेंगे आज़ादी’ आज उनके ख्वाबों को भी पूरा होते देख रहे कि उन्हें इसे छीनना नहीं पड़ा बल्कि, अपने आप ही ये उनकी झोली में आ गयी जबकि, 15 अगस्त 1947 को जो भारतमाता को प्राप्त हुई उसमें लम्बा संघर्ष, अनगिनत शहादत और देशभक्तों का रक्त बहा था लेकिन, ये ऐसी आज़ादी जिसमें ‘बीसों का सर काट दिया, ना मारा, न खून किया’ टाइप का अहसास मिला हुआ कि बेहद शांतिपूर्ण तरीके से एक सोची-समझी रणनीति के तहत इसे लम्बी प्रक्रिया व सुनियोजित योजना के बाद अंजाम दिया गया जिससे न तो किसी तरह की हिंसा या दंगा और न ही कोई रक्तपात हुआ जबकि, इसके पहले बेवजह ही हमने उस सरजमीं पर अपने देश के सैनिकों का लहू बहते हुये देखा वो भी आतंकियों के हाथों और न जाने अब तक कितने जवानों ने अपनी जान गंवा दी मगर, समस्या जस की तस की इसे नासूर बनाने का काम पिछली सरकारों ने किया जिसमें चीरा लगाकर बरसों से भरे मवाद को आज बाहर निकाला गया जिसमें निसंदेह तकलीफ़ तो होगी और टांके के निशान भी आयेंगे मगर, जब कैंसर का इलाज अंग को काटना ही होता तब व्यक्ति पीछे नहीं हटता तो फिर यहाँ तो काटने की जगह जोड़ा जा रहा फिर भला किसी को क्या परेशानी हो सकती फिर भी जिनका मिज़ाज ही नकारात्मक और जिन्हें सरकार में खामी के सिवाय कुछ नहीं दिखता उन्होंने इस ऐतिहासिक निर्णय में भी अपना पेंच तलाश लिया खैर, ऐसे तो घर में सब एक बात पर एकमत नहीं होता फिर ये तो 125 करोड़ लोगों का विशालतम घराना है इसलिये ऐसी नेगेटिव मानसिकता वाले लोगों की बातों पर ध्यान दिए बिना आज सबके लिये ये ख़ुशी की बात और जहाँ तक उनकी सोच कि हम केवल कश्मीर को अपना समझते वहां के लोगों को नहीं तो ये कुछ वैसा ही है जैसा कि वे समझते कि ये देश तो उनका है पर, सरकार उनके मन की नहीं तो सोच का क्या वो तो व्यक्ति विशेष की अपनी होती जिस पर उसका अख्तियार जो चाहे समझ ले ऐसे में मेजोरिटी की बात करें तो वो वो उसी तरह इसके पक्ष में जिस तरह राज्यसभा में ज्यादातर सांसद बाकी, विपक्ष जितना जरूरी उतना कायम है जिसे रहना ही चाहिये मगर, जब वो व्यक्ति का विरोध करते-करते देश का ही विरोध करने लगे तो फिर उसे इग्नोर करना ही एकमात्र उपाय होता है आज तीसरे सावन सोमवार पर शिवजी के तीसरे नेत्र की कृपा का ये परिणाम है उस पर नागपंचमी का भी योग तो फिर तो कुछ बड़ा होना ही था इससे कम तो हमको मंजूर भी नहीं था कि मजबूत सरकार बनाने में सबका योगदान भी तो है ताकि, कहीं कोई बाधा न आये ऐसे में भारत माता की जय, वन्दे मातरम का उद्घोष ही नहीं कश्मीरी भाई-बहनों से दो-तरफा सम्बन्ध बनने पर बधाई भी बनती है... !!!      
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अगस्त ०५, २०१९

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