रविवार, 17 दिसंबर 2017

सुर-२०१७-३५७ : ‘रिश्ता’... ‘अहम’ या ‘अहं’...!!!



‘सुहानी’ और ‘रोनित’ एक ही ऑफिस में एक ही पैकेज में एक साथ ही नियुक्त हुये तो अपनी पहली जॉब के साथ ही उन्हें एक-दूजे से भी प्रेम हो गया और दोनों ने शादी करने का निर्णय ले लिया लेकिन, जब ‘सुहानी’ को अपनी परफॉरमेंस की वजह से कंपनी की तरफ से लगातार सालों-साल तक ‘बेस्ट परफ़ॉर्मर’ का अवार्ड प्राप्त होता गया तो बीतते समय के साथ उसे अहसास भी नहीं हुआ कि कब उसका रवैया और व्यवहार अपने सहकर्मियों ही नहीं ‘रोनित’ के प्रति भी बदल गया इस बीच वो माँ भी बन गयी लेकिन, उसके नजरिये में जरा-भी परिवर्तन न आया

सब कुछ जानते-बुझते भी ‘रोनित’ इसे इग्नोर करता रहा थोडा-बहुत झगड़ा तो आम बात हो गयी थी परंतु, जब उसे कंपनी की तरफ से अमेरिका जाने का ऑफ़र मिला तो अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते उसने दुबारा माँ बनने के मौके को गंवा दिया और अपनी नन्ही बिटिया ‘टिया’ को भी होस्टल में रखने का निर्णय लिया तो वो सह न सका कि जिनके लिये सब कुछ कर रहे यदि वही पास न हो तो फिर सब बेकार हैं पर, वो न मानी यहाँ तक कि झगड़ा बढ़ने पर उसने उस पर हाथ भी उठा दिया और अपना सामान लेकर घर से निकल गयी क्योंकि उसे समझौता करना कतई गंवारा न था       

उसकी इस हरकत से मासूम बच्ची पर क्या गुजरी उसने एक पल न सोचा...

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जुड़ सकते थे
एक मुस्कान से ही
टूटते रिश्ते...
गर, पी लिया होता
कटुता का विष
नीलकंठ की तरह
किसी एक ने
तने हुये होंठो को
हंसने दिया होता
कसकर भींचा न होता
तो बदल सकता था
कहानी का अंत
और मासूम बचपन
न सहता अलगाव का दर्द
घुट-घुट कर आजीवन
कि अलग होने वालों ने तो
सोचा बस, खुद को
भूल गये उसके अस्तित्व को
सबके ताने सुनता
वो जीता तो रहा पर कभी
खुलकर न जी सका ।।
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‘रोनित’ ने उसे सब कुछ देने का प्रयत्न किया फिर भी वो उस कमी को पूरा न कर सका जो ‘सुहानी’ के जाने से पैदा हो गयी थी कि पिता माँ जैसा तो बन सकता लेकिन, माँ नहीं तो ऐसे में ‘टिया’ अंतर्मुखी बनती गयी और उसके विकास में भी माँ की ममता, स्नेह, दुलार, सरंक्षण, परवरिश, परामर्श, सहेलीपन के अभाव ने ऐसा सूनापन भर दिया जिसे मार्किट में मिलने वाले किसी भी प्रोडक्ट से नहीं भरा जा सकता था जबकि, उसकी माँ को लगता था कि बाज़ार में सब कुछ मिलता फिर वो क्यों उसे बनाने में अपना कीमती समय बर्बाद करें जिसे जॉब में लगाकर वो अधिक तरक्की कर सकती इसलिये उसने उसके लिये कभी कुछ बनाया ही नहीं और ‘रोनित’ के किये में उसे ‘माँ’ का स्वाद मिला नहीं

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१७ दिसंबर २०१७

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