बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

सुर-४०६ : "इंद्रधनुषी प्रेमोत्सव का चौथा रंग : टेडी डे...!!!"

दोस्तों...

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जब दुनिया में
सब अपने आप में गुम हो
सुनने दिल का दर्द
करीब कोई हमजुबां न हो
इंसान को अपने से
चंद लम्हें की फुर्सत न हो
और...
ऐसे समय में 
नर्म-मुलायम खिलौनों से
अपना दिल बहलाने के सिवाय
पास में कोई चारा न हो
तो वो मूक बेजान साथी भी
बड़ा अपना सा लगता
जिसके साथ कोई पर्दा न होता
बेहिचक दिल का दर्द खुलता
दिन-रात का हर पल
जिसके नजदीक गुज़रता हो
जिसका साथ जेहन को सुकूं देता हो
उसे एक दिन शुक्रिया कहना तो बनता हैं न
तो आज ‘टेडी डे’ पर उसी प्रिय को
सीने से लगाकर ये कहना न भूलना कि
वो आपके लिये कितना मायने रखता
फिर यदि वो ‘टेडी’ न होकर कोई अपना हो तो
याद रखना उसे भी उतना ही प्यार देना
इस तरह से बांटकर चाहत ये दिन मनाना
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‘प्रेमोत्सव’ के इस इंद्रधनुषी सात दिवसीय आयोजन के बीच में ‘टेडी डे’ का आ जाना कुछ असंगत और अटपटा-सा लगता कि जहाँ इस पर्व को प्रेमी-प्रेमिका या चाहने वालों का त्यौहार माना जाता वहां भला किसी खिलौने का क्या काम वो भी जबकि खिलौनों के अनेक विकल्प उपलब्ध हो उनमें से सिर्फ़ ‘टेडी’ का चुनाव कर एक पूरा का पूरा दिन उसके नाम करना कुछ अजीब महसूस कराता लेकिन जब उस नर्म-मुलायम गोलू-मोलू से प्यारे-प्यारे ‘टेडी’ को हाथ में लेकर ये सोचो तो जवाब खुद ब खुद मिल जाते कि क्यों उसे इतना महत्व दिया जाता या कोई समझदार इंसान क्यों अपने हमउम्र को इसे तोहफे के रूप में देता कि भले ही कहने को वो एक खिलौना हैं मगर, छोटे-बड़े हर किसी को प्यारा लगता क्योंकि उसका कोमल अहसास कठोर से कठोर हृदय को भी अपनी ही तरह नरम-मुलायम बनाने की क्षमता तो रखता साथ ही साथ उसकी मौजूदगी से अकेलेपन का अहसास भी कम हो जाता और अनायास ही अपने मन की बात उससे साँझा करने को जी चाहता चाहे वो सुने या न सुने, चाहे वो जवाब दे या न दे या फिर हमारी तरह ही हमको प्यार न दे सके लेकिन फिर भी उसकी ख़ामोशी या असहायता से तकलीफ़ न होती बल्कि मन का गुबार निकाल हल्कापन ही महसूस होता और कहीं बात कहते-कहते अपनी गलती का अहसास भी हो जाता याने कि इस तरह से ‘टेडी’ हमारे उन एकाकी जज्बातों का अकेला मूक गवाह होता जिससे हम बेधडक कुछ भी कहते पर, वो उसे किसी को भी न बताता हाँ, ये और बात कि आप उसे कुछ लिखकर दो या उसके साथ कोई संदेश चिपका कर भेज दो तो फिर वो आपके संदेशों को इधर से उधर प्रसारित करने वाला डाकिया भी बन जाता तो शायद, यही वो वजह जो प्रेम दिवस में इसे भी एक दिन दिया गया ताकि जो लोग अपने दिल की बात जुबां से कहने में शर्माते हो तो वो अपने इस दोस्त के हाथों अपने प्रेम का पैगाम अपने साथी तक पहुँच सकते हैं तो देखा ये कितने काम का होता हैं

एक ‘टेडी’ के रूप में आपको सिर्फ अपने मन बहलाव का साधन नहीं बल्कि एक ऐसा सच्चा दोस्त भी मिलता जिसे आप जब चाहे जिस तरह से इस्तेमाल कर सकते कि वो मात्र एक नन्हा-मुन्ना खिलौना नहीं बल्कि एक रूप में अनेक भूमिकायें निभाने वाला बहुआयामी किरदार और कई तरह के काम में आने वाला बहुउपयोगी सामान भी होता जिसे आप जब चाहे जिस रूप में अपने काम में ले सकते और लेते भी तभी तो वो एक साथ खिलौना, दोस्त, संदेश वाहक, हमदर्द, तकिया और मूक राज़दार बनता जिसके होने से हमारा गम, कम भले ही न हो मगर, कुछ हल्का तो हो ही जाता, जिसे सीने से लगाने से किसी के भी न होने की तकलीफ का पता न चलता और जब बोझिल हो पलकें तो उस पर सर रखकर सोने से दिमाग में शोर मचाता हुआ तनाव भी छूमंतर हो जाता तो इतने काम की चीज़ को कोई किस तरह से नजरअंदाज़ कर सकता उसे तो दिल से लगाकर ही रखेगा कि उसने हर पल साथ दिया, न कभी रूठा न नाराज़ हुआ और न ही कभी छोड़कर गया भले ही हमने कभी गुस्से में उसे अपने से दूर ही क्यों न फेंक दिया हो लेकिन जब फिर से धूल पौंछकर उठाया तो उसने नखरे न तो दिखाये, न ही छोड़कर जाने की धमकी दी और न ही मुंह फुलाकर रूठ कर बैठ गया तो इतने प्यारे दोस्त ने क्यों न कहे ‘तुमसे अच्छा कौन हैं...’ सबको ‘टेडी डे’ की शुभकानायें... :) :) :) !!!                    
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१० फरवरी २०१८
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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