दोस्तों...
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‘चॉकलेट’ सा
मधुर हो जाये
जीवन का हर पल
घुल जाये रगों में
वो पिघली हुई मिठास
निकले जुबान से
शक्कर जैसी मीठी बौछार
बरसे नयनों से भी
मीठे झरने की फुहार
भिंगो दो सबको
‘चॉकलेटी’ अहसास से
मनाओ ‘चॉकलेट डे’ इस तरह से ॥
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जो भी ये ‘वेलेंटाइन वीक’ मनाते उन्होंने अपने प्रिय को अब तक गुलाब का फूल देकर
अपने मनोभावों का इज़हार तो कर ही दिया होगा तो जब हो ही गयी रिश्तों की नई शुभ शुरुआत
तो इन पलों को खासम ख़ास बनाने कुछ मीठा होना तो बनता ही हैं न... क्योंकि हमारे
यहाँ तो परंपरा हैं किसी भी शुभ काज का आगाज़ हम मीठा खिलाकर ही करते हैं तो फिर ‘इंद्रधनुषी
प्रेमोत्सव’ किस तरह से इस मिठास से अछूता रह सकता था तो बस, तीसरे रंग में घोल
दिया मीठा स्वाद ताकि रिश्तों में भी बनी रहे मधुरता का मधुरतम अहसास और उसे नाम
दे दिया ‘चॉकलेट डे’ कि भले ही हमारे यहाँ मीठे के नाम पर एक लंबी फेहरिस्त हो
मगर, जहाँ का ये पर्व हैं वहां तो सिवाय इसके कोई और मिष्ठान्न होता नहीं शायद, तो
फिर इस दिन का नाम कुछ और किस तरह से होता तो उन्होंने अपने यहाँ उपलब्ध ‘स्वीट
डिश’ के आधार पर ही या निर्धारण किया लेकिन हमारे यहाँ तो मीठे के कई मायने होते हैं
ये नहीं कि किसी ने कहा ‘कुछ मीठा हो जाये’ तो उसे पेश कर दी ‘चॉकलेट’ तभी तो जब
हम किसी भी आयातित संस्कृति या त्यौहार या खान-पान को अपनाते तो उसमें अपना देशी
तड़का लगाना नहीं भूलते जिससे कि उसमें भी अपनेपन की खुशबू आये तो फिर इस दिन को
केवल ‘चॉकलेट’ के साथ मनाना तो ज्यादती होगी कि यहाँ तो मीठे के अनेक विकल्प मौज़ूद
जिसे जो पसंद हो उसे वही खिला दो कि मन की मिठाई खाकर उसके मन में भी लड्डू फूटने
लगे वो ‘दो रूपये में दो लड्डू’ वाले नहीं बल्कि हमारे यहाँ के ‘मोतीचूर’ के या
फिर कोई भी क्योंकि हमने तो लड्डुओं तक की अनेक किस्में बनाई हुई हैं याने कि कहने
को तो हमारे यहाँ कोई एक मिठाई का नाम लेते लेकिन उसके भी विविध स्वाद हमने तैयार कर
लिये हैं मतलब केवल लड्डू-पेड़ा या मात्र बर्फी कहना ही पर्याप्त नहीं होगा उसका
कौन-सा प्रकार चाहिये ये भी बताना होगा तभी तो आपको आपके पसंद का मीठा मिल पायेगा
नहीं तो फिर ‘चॉकलेट’ के साथ ही मुंह मीठा करो क्योंकि आज के इस बाजारवाद के युग
में तो ‘कुछ मीठा हो जाये’ का मतलब सिर्फ़ एक निश्चित ब्रांड ही हैं ।
रिश्तों में मधुरता का अहसास शामिल करने भले ही हम किसी भी मिठाई का इस्तेमाल क्यों
न करे वो बेमानी ही होगा यदि हमारे भीतर वो रूहानी भाव नहीं भरा हो जो हमारी जुबान
या आँखों से शहद की तरह नहीं टपकता हो तो फिर बाज़ार कितनी भी कीमती ‘चॉकलेट’ खरीद
उपहार में दे स्वाद फीका ही लगेगा लेकिन यदि रगों में घुली हो चीनी समान मधुरता तो
फिर कुछ न भी देने पर केवल प्यार के दो शब्द बोल देने पर पर ही सामने वाले को वो
स्वाद मिल जायेगा क्योंकि जो भी हम आज के दिन दे चाहे कितना भी शानदार या महंगा
तोहफ़ा ही क्यों न हो वो क्षणिक ख़ुशी ही देगा लेकिन जो हम अपने व्यवहार से जतायेंगे
वो स्थायी होगा जिसका असर आने वाले हर दिन को उसी मिठास से भर देगा इसलिये तो बचपन
से हम सबको मीठा बोलने व सबके साथ मिठास भरा बर्ताव करने की सलाह दी जाती जो कहीं
बिकता नहीं न ही कोई खरीद सकता ये तो हमारे अंदर ही होता हम ही उसे निर्मित करते
पर, आज के भाग-दौड़ के माहौल में हम प्रकृति के साथ-साथ मानवीय प्रकृति से भी दूर
हो गये तो कृत्रिम चीजों से खुद को धोखा देते और ताज्जुब की बात कि खुद हमको ये
अहसास नहीं कि हम खुद को छल रहे साथ अपनों को भी कि ये छद्म व्यवहार हमारी आदत में
घुल-मिल गया जिसे बदलना नामुमकिन तो नहीं पर, बदले तो तब न जब हमें इस बात का
अहसास हो हम तो बस, मशीनी रोबोट की तरह तकनीक के साथ कदमताल कर रहे जिसने हमारे
अंतर की कोमल भावनाओं को जैसे पाषाण बना दिया जिस पर अब संवेदनाओं का कोई भी असर
नहीं होता तो इस तरह के दिनों के पीछे की वैज्ञानिक जाँच-पड़ताल करे जिससे इनकी वास्तविकता
का पता चलेगा जिसे जानना हमारे जीवन के लिये जरूरी हैं कि रिश्ते केवल जन्म से या
बनाने से भले ही हमारे जीवन में आ जाते हो लेकिन जब तक उनसे रूहानी तालमेल न हो वो
केवल दिखावे का बंधन ही प्रतीत होंगे जिनमें जीवंतता तो अहसास ही भरेंगे अक्सर, जिसे
हम नजरअंदाज़ कर देते हैं ।
आज ‘चॉकलेट डे’ पर हमें यही समझना हैं कि ये ‘चॉकलेट’ केवल
मिठास का प्रतीक हैं जिसे हमें अपने जीवन में हर एक आदत में अपनाना हैं फिर हर शय
में मिठास अपने आप ही घुल जायेगी जिसके लिये फिर किसी दुकान में जाकर ‘चॉकलेट’
खरीदने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि तब वो मिठास तो हमारी हर बात में झलकेगी फिर ‘चॉकलेट
डे’ मनाने किसी विशेष दिन की दरकार न होगी क्योंकि हर दिन ही ‘चॉकलेट डे’ होगा...
तो भर दो हर जज्बात में चॉकलेटी मीठापन जो न हो फिर किसी भी कड़वाहट से कम... ऐसे
मनाओ रोज ‘चॉकलेट डे’ सबके संग... :) :) :) !!!
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०९ फरवरी २०१८
© ® सुश्री इंदु सिंह “इन्दुश्री’
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