शनिवार, 11 मई 2019

सुर-२०१९-१३१ : #वेदों_से_आईडिया_लेकर_गेजेट_बनाओ #शान_से_राष्ट्रीय_प्रौद्योगिकी_दिवस_ मनाओ




भारत ने प्रौद्योगिकी में भले अभी विशेषज्ञता हासिल की हो मगर, भारतीय वेद-शास्त्रों व ग्रंथों में नये-नये अविष्कारों को लेकर जो आइडियाज भरे पड़े वो सिर्फ अपने देश के लोगों ही नहीं बल्कि, विदेशियों को भी कुछ नया बनाने की प्रेरणा देते और इन्हें पढ़कर वे जुट जाते उस तकनीक को खोजने जिसका उपयोग कर के वे उस यंत्र या शस्त्र को हूबहू वैसा ही बना सके जैसा कि उन किताबों में वर्णित है । हालांकि, जब भी कोई किसी नूतन अनुसंधान या नवीन खोज के लिए अपने किसी पुरातन ग्रंथ का संदर्भ देता तो उसका मखौल बनाया जाता कि देखो, ये कैसा मूर्ख जो आज के इस आधुनिकतम निर्माण को उस कपोल-कल्पना से जोड़ रहा जबकि, ये कहते समय वो भूल जाता कि किसी भी नई रिसर्च या इन्वेंशन के लिए पहले इमेजिनेशन ही किया जाता फिर सब बनाने की जुगत की जाती है ।

ऐसे में यदि कोई कहे कि हवाईजहाज बनने से बहुत पहले ही उड़ने वाले पुष्पक विमान का उदाहरण हमारे धर्मग्रंथ में मिलता तो उसकी हंसी उड़ाने की बजाय उस कॉन्सेप्ट के बारे में सोचना चाहिये जिस पर ये आधारित इसी तरह सेरोगेसी मदर या आईं.वी.एफ. के लिए यदि महाभारत और उसकी कहानियों का जिक्र किया जाये तो एक बार रुककर ये जरूर सोचे कि क्या वाकई इसके पीछे ऐसी कोई अवधारण नहीं शामिल जिसका वहां उल्लेख है । हम लोगों की धारणा या पूर्वाग्रह इस तरह से सेट कर दिया गया कि हम स्वयं को ही कमतर मानते और ये समझते कि हम उतने काबिल नहीं जो ऐसा कुछ बना सके जबकि, हमारे ऋषि-मुनियों ने भले विज्ञान नहीं पढ़ा या किसी प्रहोगशाला में कोई यन्त्र-तन्त्र बनाया फिर भी अपनी आंतरिक शक्तियों के बल पर उन्होंने अंतरिक्ष तक की मानसिक यात्रा कर वहां का ज्ञान अर्जित कर लिया और इस तरह की सोच भी विकसित कर ली कि सब कुछ संभव तो वैज्ञानिक तथ्यों के बिना बड़े-बड़े चमत्कारिक विवरण यूँ ही लिख दिए जिन पर कॉपीराइट या पेटेंट भी नहीं करवाया पर, जबरदस्त आइडियाज लिखकर गये जिन पर आज तक नये-नये अविष्कार किये जा रहे है ।

यदि हम इनका अध्ययन करें तो ज्ञात होता कि बहुत सारे ऐसे गेजेट्स जो हम आज इस्तेमाल कर रहे उनका आईडिया हजारों साल ही वनों-जंगल में रहने वाले तपस्वियों ने प्रकृति की लेबोरेटरी में अपने प्रयोगों के आधार पर न केवल खोज लिया बल्कि, उनके बारे में लिख भी दिया जो कि किसी भी तरह के अविष्कार का आधार होता और हर वैज्ञानिक किसी भी तरह की मशीनरी या तकनीक निर्मित करने के लिये इन पर निर्भर करता और किसी भी अविष्कार के लिये सबसे ज्यादा जरूरी एलिमेंट तो आईडिया हो होता जिसकी हमारे ग्रंथों में भरमार है । चाहे ‘चिकित्सा विज्ञान’ हो या ‘आयुर्वेद’ या फिर ‘ज्योतिष शास्त्र’ या ‘खगोल विज्ञान’ हर एक विषय पर गहन शोध के बाद हमारे यहाँ के ज्ञानी-मुनि इतना कुछ लिखकर गये कि उन सबको अभी तक बनाया नहीं गया या उन पर शोधपत्र लिखा गया और नये वैज्ञानिक चाहे तो इन्हें पढ़कर इनसे आईडिया लेकर कुछ नया बना सकते है और अपनी सभ्यता-संस्कृति पर गर्व करना सीखने की जरूरत न कि शर्म की जिसका अहसास कराने की कोशिशें की जाती लेकिन, ऐसे समय में इनको जवाब देकर तर्क-वितर्क कर अपना समय व ऊर्जा बर्बाद करने से अच्छा कि हम अपनी खोज से इन्हें सत्य साबित कर दे यही इनके प्रति सच्ची सद्भावना होगी जिसकी आज जरूरत भी है

देश के समस्त वैज्ञानिक, शोधकर्ताओं, अभियंताओं और अन्वेषकों को आज के दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनायें जिनकी वजह से आज हम ये दिवस मना रहे और आगे भी हमारा प्रयास रहे कि हम हर तरह से काबिल तो दूसरों की तरफ देखने की बजाय जो हमारे पूर्वज हमें देकर गये उनका अवलोकन करें और नई-नई चीजें बनाये... फिर गर्व से राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी दिवस’ मनाये... !!!
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मई ११, २०१९

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