सोमवार, 13 मई 2019

सुर-२०१९-१३३ : #सीता_सम_बने_जो_नारी #स्वयं_उठाये_अपनी_जिम्मेदारी



जनकसुता जग जननि जानकी।
अतिसय प्रिय करुनानिधान की॥
ताके जुग पद कमल मनावउँ।
जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ॥
--- श्रीरामचरितमानस

जिस तरह से लगातार आये दिन ‘हिन्दू धर्म’ को निशाना बनाया जा रहा ऐसे में जरूरी कि हम न केवल अपने धर्म को जाने और समझे साथ ही उसके उपर लगने वाले हर गलत आक्षेप का तर्कयुक्त तथ्यपूर्ण सत्य जवाब भी दे न कि नजरअंदाज कर अपने में ही मगन रह क्योंकि, हमारी इस लापरवाही ने ही ऐसी स्थिति बना दी कि धीरे-धीरे प्रतीकों व रीति-रिवाजों से शुरू हुई बातें उनको गलत बताते-बताते कब सम्पूर्ण धर्म को ही कलंकित करने लगी पता नहीं चलता ऐसे में हिन्दुओं का अब भी खामोश रहना अखरता है ‘धर्म निरपेक्षता’ के नाम पर केवल एक ही मजहब की बात की जाती जो कि इस दर्जा एकतरफा मामला है कि उसमें हिन्दू धर्म का काम केवल सहनशीलता की मूर्ति बनकर हर अन्याय और अपने पर लगे हर इल्जाम की चुपचाप सहन करना है और जो उसने कुछ कहा या अपना विरोध दर्ज करवाया सभी सेक्युलर व लिबरल्स के कलेजे में पीड़ा होने लगती और उसे कुछ ऐसे घृणित आरोप लगाकर अपराधी के कटघरे में खड़ा किया जाता कि यदि वो अपने धर्म के प्रति सजग एवं जानकार नहीं तो अंततः ‘हिन्दू आतंकवादी’ घोषित कर दिया जाता है

आज ये सब इसलिये कहना पड़ रहा कि आज ऐसा पुनीत-पावन दिवस जब कि जगत जननी जनक दुलारी ‘सीता’ धरती की कोख से प्रकट हुई पर, दुनिया भर के तमाम डेज मनाने वालों को वो सब तो याद रहता लेकिन, अपने ही धर्म की इतनी महत्वपूर्ण तिथियाँ या तो याद नहीं या किसी ने बता भी दिया तो ऐसा कोई जज्बा भीतर नहीं जगता कि उस पर अपना कीमती समय बर्बाद करें जबकि, दूसरे मजहब के लोग अपने रिलिजन के प्रति इतने अलर्ट रहते कि अपने किसी रिवाज से कोई समझौता नहीं करते है यही लोग मगर, बड़े-बड़े आलेख लिखकर हिन्दुओं को बताते रहते कि उनके धर्म की प्रथाएं कितनी निरर्थक व अनुपयोगी जिनको अब भी मानते रहना बेहद गलत तो जब भी कोई त्यौहार या तिथि आये सब एक साथ चालू हो जाते जिससे कि सब न सही जितने भी लोग उनके पाले में आ जाये उतने ही ठीक लगातार अपने एजेंडे पर कायम रहने से एक दिन वे इस मिशन में सफलता हासिल कर ही लेंगे तो इसी उम्मीद पर डटे रहते है      

‘माता जानकी’ के चरित्र एवं उनके मानवीय गुणों पर भी ऊँगली उठाने से बाज नहीं आते जिससे कि वे हिन्दू स्त्रियों बरगला कर वे इतना कमजोर बना दे कि उन पर आसानी से शासन कर सके तो उनको इस तरह प्रस्तुत करते कि जैसे वे कोई अबला और सताई गयी स्त्री हो जिनका अपना कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं सिर्फ अपने पति श्रीराम की परछाई हो और उनके जैसा बनने से हम पर भी उनकी तरह बंदिशें लगाई जाएगी और अग्नि परीख्सा जैसी कुप्रथा के नाम पर अपमानित भी किया जायेगा जो कि केवल अर्धसत्य है जब हम खुद उनको पढेंगे व जानेंगे तो समझ आयेगा कि वे बेहद सशक्त, आत्मनिर्भर व मजबूत इच्छाशक्ति वाली नारी है जो किसी भी तरह की विषम परिस्थितयों में घबराती नहीं और मुश्किल आने पर निर्णय लेने से भी पीछे नहीं हटती इसलिये राजमहल छोड़कर वनगमन करना हो या वनवासी होकर प्रतिकूल परिस्थियों में रहना या फिर अशोक वाटिका में आसुरी शक्तियों के मध्य बिना भयभीत हुये रहना हो या अपने बच्चों को सिंगल पेरेंट के रूप में जन्म देना व पालना और वापस पृथ्वी में ही समाना हो सभी फैसले बिना किसी दबाब के लेती जो उनके अपने होते है    

आज ‘जानकी नवमी’ पर हमको उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये और ऐसी ही महतवपूर्ण तिथियों व तीज-त्यौहारों का ज्ञान रखकर हम अपने अपने धर्म का सम्मान कर सकते है क्योंकि, धर्मो रक्षति रक्षितः अर्थात तुम धर्म की रक्षा करो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा अन्यथा बिना धर्म के व्यक्ति अधर्मी ही नहीं असुर भी बन जाता है

जगत जननी माता जानकी के अवतरण दिवस की सबको शुभकामनायें... !!!
  
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मई १३, २०१९

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