मंगलवार, 21 मई 2019

sur-2019-141 : #सच_सामने_आने_लगे #झूठे_लोग_घबराने_लगे



भारत में जब से संवैधानिक व्यवस्था व लोकतंत्र की स्थापना हुई तब से एक दल ने निरंकुश एकछत्र राज्य किया और अपने एकाधिकार ने उसे इस कदर मदमस्त कर दिया कि वो देश को अपनी जागीर और सभी संस्थाओं को अपना मातहत समझने लगा उस पर भक्ति का आलम ऐसा कि जनता को जो पढ़ाया जाता या जितना सामने आने दिया जाता उसे ही सच समझकर स्वीकार कर लिया जाता क्योंकि, प्रजा भी यही समझने लगी थी कि अंग्रेज भले चले गये और हम आज़ाद हो गये पर, जिन्होंने हमको स्वतंत्र कराया अब राज उनका चलेगा लेकिन, ख़ुशी की बात कि ये अपने ही है तो इनकी नियत पर शक किया ही नहीं जा सकता ये कुछ गलत थोड़े करेंगे आखिर, जंग लड़कर देश को दुश्मनों से बचाया है 

सब कुछ बढ़िया चलने लगा मगर, धीरे-धीरे जब जागरूकता व जानकारियां बढ़ी तो शासन करने वालों की मुश्किलें भी बढ़ी जिसकी वजह से विपक्ष मजबूत होना शुरू हुआ क्योंकि, कभी विपक्षविहीन व तो कभी कमजोर विरोधियों के रहने से सरकार की तानाशाही बढ़ने लगी थी जिसे अवाम समझने लगी थी वो देख रही थी कि देश को कुछ लोग अपनी जायदाद समझकर पीढ़ी दर पीढ़ी अपने बेटे-बेटियों ही नहीं पोते-परपोतियों तक के नाम करते चले जा रहे और आगे की जनरेशन भी अब मैदान में आ चुकी है जो इस देश को अपनी प्रॉपर्टी समझती है उस पर उनके चाटुकार ऐसे जिनमें न तो स्वाभिमान और न ही जिन्हें अपनी उम्र या पद का ही लिहाज वे तो रीढ़विहीन अपने से छोटो के पैरों में झुके जा रहे और चमचों का तो कहना ही क्या हर हाल में अपने राजा के साथ चाहे वो देश को बेचे या मिटाये पर, वे अपनी स्वामिभक्ति पर आंच न आने दे सकते तब ऐसे में सबने वाले का गुरुर क्यों न बढे वो देश को अपनी विरासत और खुद को राजा क्यों न समझे तो वही शुरू हो गया था

इन हालातों देख-देखकर इन नासमझों के हाथ में देश की बागडोर आये और देश पूरी तरह से बर्बाद हो जाये जागृत जनता ने इन्हें हटाने का फैसला कर लिया और ई.वी.एम. पर बटन दबाकर अपने अधिकार का ऐसा प्रयोग किया कि एकाएक सत्ता ही नहीं देश का भाग्य परिवर्तन भी हो गया जिसके बाद बहुत कुछ ऐसा हुआ जो उन 55 सालों में बहुत पहले ही हो जाना था मगर, जब हाथ में पॉवर रहती तो व्यक्ति समझता कि ये सिंहासन व गद्दी सदा से उसकी थी और सदैव उसकी रहेगी तो बेफिक्र होकर मनमानी करने लगता कि प्रजा बेचारी तो उसकी गुलाम क्या कहेगी लेकिन, जब उसका बेआवाज़ वोट शोर गूंजता तो उसके शोर से अचानक नींद टूटती है तब समझ में आता कि चैन से सोने के दिन गये अब मशक्कत करनी पड़ेगी तो वही हुआ इन पांच सालों में जिसे हम सबने भी देखा कि राजमहलों में सुख-सुविधाओं के बीच रहने वाले गलियों-गलियों भटकने लगे अफ़सोस कि तब तक बहुत देर हो चुकी थी

इस बीच इनके बरसों से बोले गये झूठ जनता के सामने आने लगे, इनके घोटाले के राज खुलने लगे और बड़े शातिर तरीके से छुपाये गये सच पर्दाफाश होने लगे चूँकि इतने लम्बे समय से सत्ता में रहने से ये इतने शक्तिशाली हो गये कि पत्रकार भी उनके इशारे पर नाचने लगे तो जो लिखा जाता सबको वही सच लगता और जो किसी ने सच लिखा भी तो तकनीकी कमजोरी से वो सामने नहीं आ पाता था । मगर, अब सोशल मीडिया व इन्टरनेट का जमाना जहाँ क्षण भर में कोई भी खबर दावानल की तरह फ़ैल जाती तो वही हुआ जब भी पुरानी सरकार की कोई सच्चाई सामने आई उसे हाथों-हाथ प्रसारित व प्रचारित किया गया जिसका नतीजा कि जनता की बंद ऑंखें खुलने लगी वो जान गयी कि उसके साथ विश्वासघात किया गया । वो तो बेचारी, आँख मूंदकर अपना बहुमूल्य मत उसको देती रही और उस पर पूरा भरोसा करती रही लेकिन, सरकार ने उसका निजहित में उपयोग कर अपने आपको शक्तिशाली बनाया अपना स्वार्थ पूरा किया उसको धोखा दिया इस बात ने उसे बहुत आहत किया पर, जल्द ही वो सम्भल गया, समझ क्या कि उसे अब आगे क्या करना है । 

उनके अनगिनत झूठों की पोल खुल चुकी जिनमें चंद का ही उल्लेख यहाँ किया जा रहा जो अभी सुर्ख़ियों में बने हुये है और जिनसे जनता का जुडाव अधिक क्योंकि, इनका सिरा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है....

जिसका ताजा-तरीन उदाहरण कल सेना ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा यू.पी.ए. शासनकाल के दौरान 6 सर्जिकल स्ट्राइक होने के दावे को सिरे से ख़ारिज कर दिया उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि, “सितंबर 2016 से पहले कोई सर्जिकल स्ट्राइक हुई ही नहीं उत्तरी कमांड के जी.ओ.सी. इन चीफ ले.जनरल रणबीर सिंह ने एक बयान जारी करते हुये कहा कि कुछ दिनों पहले डी.जी.एम.ओ. ने एक आर.टी.आई. के जवाब में कहा कि देश की पहली सर्जिकल स्ट्राइक सितम्बर 2016 को हुई थी ।

शायद, उन्होंने ये झूठ ये सोचकर कहा होगा कि हमारे 6 बार सर्जिकल स्ट्राइक की बात का यदि कोई सुबूत मांगेंगा तो हम कह देंगे कि सेना के शौर्य पर शक कर रहे हो और इस तरह से हम बच जायेंगे हमारा सच कभी सामने न आएगा पर, अब जनता जागरूक है तो उसने आर.टी.आई. का उपयोग कर जानकारी निकाल ली और ये सोचकर उसे सदमा लगा कि जिस मनमोहन सिंह पर उसे  यकीन था कि भले वे खामोश रहेंगे पर झूठ न बोलेंगे वे भी अपनी स्वामिभक्ति के लिये इस स्तर पर उतर आये ऐसे स्थिति में अन्य कार्य भी शक के दायरे में आ जाते है और सोचना पड़ता है कि अब तक यही सुना और देखा था कि रिमोट कंट्रोल से रोबोट चलते है मगर, इन्सान भी इस सच को सहन कर पाना नामुमकिन है ।

इसी तरह से बालाकोट एयर स्ट्राइक में भी पूरा विपक्ष लगातार हमला करता रहा और ये मानने की तैयार नहीं था कि ऐसा कुछ हुआ भी है और एक भी आतंकवादी मारा गया इन्हें पाकिस्तान के वजीरे आजम पर तो शत-प्रतिशत भरोसा था लेकिन, अपनी सेना पर नहीं तो सब मिलकर सुबूत-सुबूत चिल्लाने लगे । वहां 300 से अधिक मोबाइल के एक्टिव होने का प्रमाण दिए जाने पर इन्होने विश्वास नहीं किया और देशी मीडिया को नकारकर विदेशी मीडिया की क्लिपिंग्स दिखाने लगे । ऐसे में इटली की विशेष गौर फरमाये इटली की पत्रकार ‘फ्रेंचेस्का मारीनो’ ने 8 मई को अपनी रिपोर्ट के माध्यम से ये दावा किया है कि, “भारतीय वायुसेना द्वारा 26 फरवरी को सुबह 03:30 बजे पाकिस्तान के बालाकोट में की गयी एयर स्ट्राइक में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के करीब 130-170 आतंकवादी मारे गये और पाकिस्तानी सेना सुनाह 6 बजे मौके पर पहुंची और घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया” । चूँकि, ये विदेशी मीडिया को ही सच मानते तो चलो वही सही फिर भी ये न मानेंगे क्योंकि, इनको ये स्वीकार करना ही नहीं है विपक्ष जो है तो बस, विरोध करना जानते लेकिन, ये नहीं सोचते कि देशहित में पक्ष-विपक्ष सब एकमत होते है । अफ़सोस, इनका एजेंडा तो सरकार के खिलाफ माहौल बनाना तो झूठ ही क्यों न बोलना पड़े बोलेंगे जानते कि हजार बार दोहराने से झूठ सच बन जाता मगर, सनद रहे कि देश की सुरक्षा का मामला हो तो जनता माफ़ नहीं करती है ।    

 नौसेना के कई पूर्वी अफसरों ने दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के द्वारा आई.एन.एस. विराट का ‘निजी टैक्सी’ की तरह उपयोग किये जाने का समर्थन किया जो बताता कि उस कालखंड में जनता अंधभक्त, निरंकुश शासन, संस्थाओं पर कब्जा और देश को जागीर समझने वालों ने ये सोचा न होगा कि कभी उनका ये सच इस तरह से सामने आयेगा । वे तो समझते थे कि सदियों तक उनका खानदान और उसके वंशज ही इस देश पर शासन करेंगे पर, ऐसा हुआ नहीं और ये बात सामने आई नेवी के पूर्व अफसर लेफ्टिनेंट कमांडर हरिंदर सिक्का ने कहा कि, “मुझे नहीं पता कि उस दौरे को ऑफिसियल कहा जायेगा या अन ऑफिसियल लेकिन, राजीव जी जिस समय छुट्टियाँ मनाने लक्षद्वीप गये थे उस दौरान आईएनएस विराट का प्रयोग हुआ था वे एडमिरल के कमरे में भी गये थे और जब पूर्व पी.एम. के साथ उनके परिजन युद्धपोत पर आये तो नौसेना की एक टुकड़ी ने अपना विरोध भी जताया था पर, हम लाचार थे हमारे कमाडिंग ऑफिसर ने हमें चुप करा दिया था” । इसी तरह पूर्व नेवी कमांडर अब रिटायर्ड वी.के. जेटली ने भी कहा कि, “छुट्टियों के दौरान गाँधी परिवार ने बड़े पैमाने पर नौसेना के संसाधनों का इस्तेमाल किया था मैं इसका गवाह हूँ क्योंकि, मैं तब उस पर तैनात था” पर, जब आपको लगे कि आप ही सर्वेसर्वा है तो ऐसी गलतियाँ हो जाया करती है ।

सबसे बड़ा खुलासा हुआ जब वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फुल्का ने दावा किया कि, “1984 के दंगों के दौरान सिखों को मारने का निर्देश सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से मिला था उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और गृह मंत्री सेना बुलाना चाहते थे लेकिन, पीएमओ ने इसकी अनुमति नहीं दी जबकि, सेना की मदद से 2000 जानें बच सकती थी जो सरकार की वजह से हो न सका औ इसके पर्याप्त सबूत ऑन रिकॉर्ड उपलब्ध है” ।

ये सिर्फ चंद प्रकरण पर, बेहद महत्वपूर्ण क्योंकि, ये सभी देश की सुरक्षा और गरिमा से जुड़े जो बताते है कि किस तरह एक परिवार ने देश का निज लाभ में उपयोग किया और क्यों वो इस समय बोखलाये हुये फिर रहे है ।

उन्हें ये डर सता रहा है कि सारा सच सामने आने पर जब जनता उनकी असलियत जान जायेगी तब क्या होगा ? हमारे लिये इससे भी बड़ी चिंताजनक बात तो ये है कि महज़ दो-चार सच ही सामने आये तब ये हाल है यदि उन 55 सालों का सारा कच्चा चिट्ठा और सच सामने आ गया तो क्या होगा ?? जनता की जागरूकता व अंधभक्ति का चश्मा उतरने से ही ये सम्भव हुआ फिर भी जो इनके क्यूटनेस, भोली सूरत और खानदानी होने के गुण गाये जा रहे उनकी सोच व मानसिकता पर तरस आता कि एक परिवार के प्रति निष्ठा क्या देश की सुरक्षा से भी ज्यादा बड़ी है ???

सारे विरोधियों का एकजुट होना यही दर्शाता कि कहीं न कहीं किसी मामले में उनकी भी पूंछ दबी हुई हो अन्यथा देश के आगे कुछ नहीं खुद भी नहीं जिनकी सोच होगी वो कभी भी किसी व्यक्ति या नेता या दल के गुण नहीं गायेंगे सदैव देश राग ही उनकी रगों व आत्मा में गूंजेगा जो सच के सिवाय कुछ न सुनेगा न ही समझेगा चाहे सामने कोई हो और आज की युवा पीढ़ी भी इस सत्य को स्वीकार कर चुकी... उसके लिये राष्ट्र प्रथम है... राष्ट्र रहेगा तभी हम रहेंगे... इसलिये देश के खिलाफ कुछ न सुनेंगे, न कहेंगे... यही संकल्प हमारा है... जय हिन्द... वंदे मातरम... भारत माता की जय... !!!                                
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मई २१, २०१९

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