रविवार, 19 मई 2019

सुर-२०१९-१३९ : #इनबॉक्स_की_राजनीति #रोक_रही_कलम_की_अभिव्यक्ति



मामला – ०१ : ‘निधि’ ने तत्कालीन ‘गाँधी-गोडसे विवाद’ के मद्देनजर उसके पक्ष में अपना मत फेसबुक पर क्या लिखा मानो भूचाल आ गया उसकी पोस्ट पर तो उसकी जबरदस्त खिंचाई की ही गयी साथ-साथ मेसेंजर / व्हाट्स एप्प पर भी उसे बहुत बातें सुनाई गयी यहीं नहीं कुछ लोगों ने तो उसका पर्सनल नम्बर तक सार्वजानिक कर दिया जिसकी वजह से उसे गंदे-गंदे गालियों से भरे कॉल्स आने लगे और आखिर में उसने अपना प्रोफाइल ही नहीं मोबाइल भी बंद कर दिया और इस तरह उसकी लेखन प्रतिभा को कुछ असामाजिक तत्वों ने समय से पहले ही उभरने से रोक दिया

मामला – ०२ : ‘दीपिका घोष’ का प्रकरण भी एकदम ताजा है जो आई.पी.एल. मैच में अपनी पसंदीदा टीम को चीयर अप करने गयी थी लेकिन, वहां कैमरे की नजर में क्या आई उसकी निजता पर ही मानो ताला लग गया कहने की ये उसके लिये ख़ुशी की बात थी कि वो अपनी तस्वीर वायरल होने से रातों-रात सेलेब्रिटी बन गयी थी लेकिन, कुछ छिछोरे टाइप के लोगों ने ने केवल उसे इन्स्टाग्राम पर ढूंढ निकाला बल्कि, उसके इनबॉक्स में घुसकर उसे सन्देश भी भेजने लगे जिसने उसकी प्राइवेसी पर ऐसा आघात किया कि उसे सामने आकर अपनी बात कहनी पड़ी लेकिन, क्या इससे उसकी समस्या का समाधान हुआ ?     
  
ये तो महज़ छोटे-छोटे साधारण लोगों के उदाहरण जिनके पास पॉवर नहीं लेकिन, हमने इसी माध्यम पर कई नामी हस्तियों जिनमें कई राजनेता व पत्रकार भी शामिल को इसी तरह की अपराधिक हरकतों का शिकार होते देखा जब उनके द्वारा अपनी बात कहने पर उनके मोबाइल नम्बर को पब्लिक डोमेन में जारी कर दिया गया और फिर उन्होंने अपनी पोस्ट्स व स्क्रीन शॉट्स के जरिये बताया कि उन्हें किस तरह की गंदगी का सामना करना पड़ रहा है पर, वे लोग तो मशहूर शख्सियत तो इस तरह की पोस्ट्स से उनको लाभ ही हुआ और उन्होंने इसे सहानुभूति पाने का जरिया बनाकर अपना हित साध लिया लेकिन, एक सामान्य व्यक्ति के लिये ये सब बेहद घिनौना अनुभव होता है   

कहने को तो कलम आज़ाद है और सबके पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है फिर भी आजकल सोशल मीडिया में ये सब कुछ जो देखने में आ रहा है कि जिसमें यदि किसी के व्यक्तिगत विचार या उसकी पोस्ट से कोइ असहमत है तो वो अपनी असहमति केवल उसके कमेन्ट बॉक्स में ही नहीं दर्शाता बल्कि, अपने साथियों के साथ मिलकर उसके इनबॉक्स में गाली-गलौच करने से भी बाज नहीं आता ऐसे में जिसे इस तरह के माहौल या इन लोगों से लड़ने और इन्हें मुंहतोड़ जवाब देना आता वो तो इनसे बेख़ौफ़ होकर निपट लेते लेते लेकिन, चन्द ऐसे भी होते जिन्होंने कभी ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं किया या जिसे इस तरह की निम्न भाषा का प्रयोग करना नहीं आता उन्हें मैदान छोड़कर भागना पड़ता या फिर अपना नया प्रोफाइल बनाकर अपनी पहचान गोपनीय रखकर काम करना पड़ता है

क्योंकि, जब कई लोग एक साथ टारगेट कर उन्हें अटैक करते तब इस तरह के विकट माहौल में ब्लॉक का ब्रम्हास्त्र भी काम नहीं आता आखिर, कोई कब तक कितने समय तक यही करता रहेगा इससे उसकी रचनात्मकता व लेखनी दोनों प्रभावित होती जिस ऊर्जा को वो किसी सकारात्मक क्रिया में व्यव करना चाहता उसे बेवजह ही इस तरह की नकारात्मकता में खर्च करना पड़ता जो अनावश्यक रूप से उसे मानसिक तनाव व कभी-कभी अवसाद में भी धकेल देते ऐसे में लगता कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सिर्फ उनको ही हासिल जो दबंगई से इसका इस्तेमाल कर सके साधारण लोग तो इतनी परेशानी झेल नहीं पाते और अनचाहे ही सही इस जगह से विदा ले लेते है जबकि, इस प्लेटफार्म में अपने मन की भडास निकालने लोग भगवान् हो या धर्म या फिर कोई राजनैतिक दल या फिर कोई संस्था या देश का प्रधानमंत्री किसी की भी आलोचना करने में पीछे नहीं रहते है

सबको अपनी-अपनी बात कहने का हक़ है और सब अपने पक्ष को अपने नजरिये से पेश कर सकते फिर भी कुछ लोगों को लिखने से समूह बनाकर रोका जा रहा केवल, इसलिये कि उनके शब्द, उनकी बातें और उनके विचार उनकी बनाई धारणाओं के खिलाफ़ है जिसके टूटने का भय इस कदर सता रहा कि इसके लिये गैंग बनाकर इस तरह की असंवैधानिक / अमानवीय हरकतों को अंजाम दिया जा रहा जिसके प्रति सजगता जरुरी अन्यथा बहुत-सी प्रतिभायें वक़्त से पहले दम तोड़ सकती और बहुत-सी नवीन विचार धाराएँ या नये रिसर्च आर्टिकल प्रकाशित होने से पहले जेहन में ही सिसकते रह सकते है         
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मई १९, २०१९

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