मंगलवार, 7 मई 2019

सुर-२०१९-१२७ : #क्रोध_ही_नहीं_हर_गुण_समाया #विष्णु_षष्टम_अवतार_परशुराम_कहलाया




वैशाख शुक्ल पक्ष की 'अक्षय तृतीया' एक ऐसी तिथि और एक ऐसा मुहूर्त जिसकी प्रतीक्षा हर धर्मावलम्बी और आस्थावान साधक को होती है । इस शुभ काल में किया गया हर शुभ काज और दिया गया हर पवित्र दान अमिट होता जिसका पुण्य सदियों तलक खत्म नहीं होता क्योंकि, ये घड़ी ग्रह-नक्षत्रों की एक ऐसी पावन बेला होती जिसका योग बड़े संयोग से बनता है । यही वो परम पुनीत महायोग महाकाल जिसमें भृगुकुल शिरोमणि विष्णु के छठे अवतार 'परशुराम' का अवतरण हुआ जिन्होंने अपने अद्भुत शौर्य व अकल्पनीय पराक्रम से ऐसा अविश्वसनीय कथानक रचा जिसके द्वारा उनके बहुमुखी व्यक्तित्व के छिपे गुण धीरे-धीरे सामने आते है । यूं तो हम उनको उनके क्रोध व युद्ध कौशल के लिए अधिक जानते लेकिन, यही उनकी एकमात्र पहचान नहीं उनमें मानवीय चारित्रिक विशेषताएं भी थी जो उनके हृदय के कोमल पक्ष को भी सामने लाती है ।

विष्णु के आवेश अवतार परशुराम सतयुग व त्रेता के संधिकाल में पृथ्वी पर आये और द्वापर से लेकर कलिकाल तक वे अपने परशु की छत्रछाया में हम सबकी रक्षा का भार उठाये हुये और उनकी कृपा की वजह से ही हम भयमुक्त होकर रह पाते है । शास्त्र और शस्त्र का जैसा अनूठा ज्ञान उनके पास था वैसा अन्यत्र दुर्लभ था इसलिए उनका शिष्य बनने के लिए दानवीर कर्ण को भी छल का आश्रय लेना पड़ा और 'राम' 'कृष्ण' को भी अपने विशेष शस्त्र उनसे ही प्राप्त हुये जो उनकी पहचान माने जाते है और दो अलग-अलग कालखण्डों में उनकी उपस्थिति को दर्शाते है । उनके हृदय की कोमलता का अहसास तब होता जब अम्बा उनसे न्याय की गुहार लगाती है तो स्त्रीत्व के सम्मान की रक्षा हेतु वे अपने ही शिष्य व वीर यौद्धा भीष्म से जंग करने में भी हिचकिचाते नहीं है । मिथिला कुमारी सीता के स्वयंवर में शिव धनुष भंग होने पर उनका आगमन यूं तो क्रोध की चरम अवस्था में होता है लेकिन, अयोध्या नरेश राम का विनीत व्यवहार व मधुर कण्ठस्वर उनके गुस्से को इस तरह से पिघला देता है कि रण की इच्छा से आये परशु आशीर्वाद देकर विदा होते है ।

विविधता से भरे उनके लंबे जीवनकाल व उनमें घटी घटनाओं के माध्यम से उनको जानने का प्रयास करते है तो परत-दर-परत उनके रहस्यमयी चरित्र के भिन्न-भिन्न पहलू सामने आते जो उनके बारे में प्रचलित भ्रामक धारणाओं को खंडित करते है । वे अजर-अमर आज भी हमारे बीच सूक्ष्म रूप से तेजपुंज रूप में उपस्थित है और आज उनकी जयंती व आखातीज के इस शुभ अवसर पर उनसे अपनी व इंसानियत की सुरक्षा की प्रार्थना के साथ-साथ उनकी विशेष अनुकम्पा हम सब पर बनी रहे ये आशीर्वाद भी उनसे मांगते है । सबको इस महापुरुष के आगमन दिवस की बहुत-बहुत बधाई और अकती अनेकानेक शुभकामनाएं... 💐💐💐 !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मई ०७, २०१९

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