रविवार, 12 मई 2019

सुर-२०१९-१३२ : #जाना_मां_का_अहसास #दी_उसने_जब_हमें_अपनी_सांस




भटक रहे थे
शून्य में कहीं हम
आये जब कोख में बनकर
भ्रूण मिला जीवन
सहकर हर दर्द, तकलीफ़
सँवारी काया हमारी
नौ महीने भूल गयी खुद को
याद रखा बस, हमको
आये जब गोद में तब जाना
मां का अहसास
जिसके लिये तरसते भगवान
होता बहुत खास
जिलाती जो हम सबको
देकर अपनी सांस
अपने सपने तजकर उसने
आंखों में भर दिये हमारे
कि एक दिन करें पूरा हम उसको
तब लगेगा उसे मानो
साकार हुआ उसका अधूरा स्वप्न
खोई जो अपनी नींद
दिन का सुकून और चैन
कभी न देखा दिन है या रैन
नहीं चाहती उसका कोई प्रतिदान
अनवरत करती रहती
निःस्वार्थ भाव से हर वो काम
जिससे बने हमारी पहचान
हो अलग एक नाम
अंतिम सांस तक भी करती दुआ
वो चाहे रहे या न रहे
सदा बनी रहे उसकी सन्तान
वेद पुराण भी करते उसका बखान
मां होती ऐसी महान ।।

#मातृ_दिवस
#Happy_Mothers_Day
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मई १२, २०१९

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