गुरुवार, 2 मई 2019

सुर-२०१९-१२२ : #टिप्पणी_का_नाज़ुक_वार #रिश्तों_में_ला_सकता_भूचाल



आजकल ‘फेसबुक’ पर जिस तरह से लेखक/लेखिकाओं, कवि/कवयित्रियों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही ये बड़ा-ही चिंताजनक विषय है इसे पढ़कर निश्चित ही आप सोचेंगे कि अब ये कौन-सी राष्ट्रीय समस्या हो गयी ये तो बड़े हर्ष की बात है कि ‘फेसबुक’ के माध्यम से लोगों को एक मंच मिला है इसके आने के बाद वे सभी लोग जो अब तक अपने मन की बात कहीं डायरी या मन के किसी कोने में ही दर्ज रखते थे अब सबके सामने प्रदर्शित कर रहे है और इसके द्वारा उन सभी रचनाकारों को भी लाभ हो रहा है जिनकी रचनायें अप्रकाशित रह जाती थी अब न सिर्फ सबको छपने का अवसर मिल रहा है बल्कि, उनकी कृति के सार्वजानिक होने से त्वरित प्रतिक्रियायें भी मिल रही है जिससे वे खुद को अपडेट भी कर पा रहे है नये-नये विषयों जिन पर लिखना अब तक केवल कल्पना में ही संभव था उसे इस तरीके से सबके सामने ज़ाहिर करने से भी लोग हिचक नहीं रहे क्योंकि, इस विशाल संसार में उनको अपनी रूचि के पाठकों का साथ मिल रहा है

ऐसे में अनेक लोगों के लेखन के क्षेत्र में आने से समस्या क्या है तो भई मैं भी इसके खिलाफ़ नहीं हूँ ये तो वाकई में हम सभी के लिये बेहद प्रसन्नता का विषय है कि अब हम सभी अपनी भावनाओं / मन में उठने वाले विचारों को सबके साथ सांझा कर पा रहे है हर एक बात के सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलू होते तो उस आधार पर इसके साथ भी एक ऐसा ही गलत पक्ष भी जुड़ रहा है जो जाने-अनजाने लोगों के व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर रहा है ऐसे अनेक मामले देखने में आये जब किसी की कलम से आकर्षित होकर सामने वाला उससे इस हद तक नजदीकी रिश्ता कायम कर लेता कि पता ही नहीं चलता कब वो उसके रिश्तों के टूटने की वजह बन जाता है । अपने मन की भावनाओं को कमेन्ट या सन्देश के जरिये दर्शाते-लिखते कब वो आभासी दोस्त अपनी मर्यादित सीमा का उल्लंघन कर जाता कब उसकी निजता में प्रवेश कर जाता दोनों को ही अहसास नहीं होता क्योंकि, शुरुआत में ये सब मन को अच्छा जो लगता है ।

किसी कलमकार की किसी रचना पर उस दोस्त की लिखी गयी टीका-टिप्पणी भी कभी-कभी उसके जीवन साथी या करीबी रिश्तों की सरल रेखा में तीसरी रेखा की तरह शामिल होकर एक कोण बना देती और ‘त्रिकोण’ का यही निर्माण घनिष्ठ सम्बन्धों में कितना घातक हो सकता ये बताने की जरूरत नहीं है । ऐसे में ये जरुरी है कि जब ये समझ आये कि कोई दोस्त हद से ज्यादा बढ़ रहा है या अपनी सीमा रेखा पार कर निजी ज़िन्दगी में अतिक्रमण कर रहा है तो उसे वही रोक दे या अपने रिश्ते के बीच एक लिमिट निर्धारित करे ताकि, दोस्ती की पवित्रता बनी रहे और किसी विस्फोटक रिलेशन में तब्दील होकर जोड़ी ब्रेकर न बन जाये । इसके अलावा अपने लाइफ पार्टनर की प्रोफाइल, उसके प्रत्येक स्टेट्स व उन पर आने वाले कमेंट्स पर अगर नजर भी रखनी पड़े तो कोई गलत बात नहीं अन्यथा खबर तब होगी जब अगला आपके प्रियतम को ही आपसे छीन लेगा क्योंकि, फेसबुक ने केवल नये लोगों को ही आपस में नहीं जोड़ा बल्कि, कई पुरानी / अधूरी / अनकही कहानियों को भी पूरा करने का मौका दिया है ।

ऐसे में यदि दोनों कहीं कमिटेड नहीं या किसी रिलेशनशिप में बंधे नहीं तो भी कोई दिक्कत नहीं लेकिन, मामला तब गड़बड़ हो जाता जब वो रचनाकार दिल की डोर से किसी से जुड़ा हो तब तीसरा आकर उसे अपने शब्दों के बाण से काट दे तो सभी की जिंदगियां उलझ जाती है । ऐसी ही परिस्थिति में सावधान व सतर्क रहने की जरूरत क्योंकि, सोशल मीडिया कोई आपका घर तो नहीं कि दरवाजे-खिड़की बंद कर के किसी के आने पर पाबंदी लगा दी जाये और ब्लॉक भी कोई ऐसा हथियार नहीं कि किसी के भेष बदलकर आने को रोक सके या हर माध्यम पर पहरे बिठा सके तो ऐसे में सजगता ही एकमात्र बचाव व उपाय है ।                 
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मई ०२, २०१९

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