शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

सुर-२०१८-३३ : #प्रेम_भूला_अकड़_लेता_जकड़



‘युविका’ का गुस्सा जैसे हमेशा उसकी छोटी-सी नाक पर बैठा ही रहता लेकिन, कुछ दिनों से उसकी बड़ी बहन महसूस कर रही थी उसकी छुटकी कुछ बदल रही हैं जिसका मूड पल में तौला, पल में माशा और शेयर मार्किट की तरह अप-डाउन होता रहता और उसकी इगो तो बर्फ की मानिंद पिघलकर न जाने कब फिजाओं में काफूर हो चुका बस, मोबाइल की स्क्रीन चमकने की देर और कितनी भी उदास हो तुरंत मुस्कुराने लगती हैं

वजह की पड़ताल की तो निष्कर्ष कुछ यूँ सामने आया जिस दौर से वो खुद गुजर चुकी थी... तो उन्हीं ख्यालों में खो गयी...

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कर लिया...
एकदम दृढ फैसला
और इस बार ये अंतिम भी हैं
कि चाहे अब कुछ भी हो
मुझे तुमसे बात नहीं करना हैं
न ही भेजना हैं कोई संदेश
जब तुम मेरे बिना रह सकते हो
मुझे याद किये या संदेश भेजे बगैर तुम्हारा
दिल बड़ा अच्छा गुज़रता तो
फिर मैं अकेली ही क्यों ?
पीड़ा के इस झंझावत से गुजरूं
खुद से ही सवाल करूँ
और फिर खुद को ही कोई भी
संतोषजनक उत्तर देकर मनाती रहूँ
जबकि, तुम अपनी सुविधा
और अपने समय के मुताबिक
किसी टाइमपास साधन की तरह
जब भी जी चाहे मेरा इस्तेमाल करो
और मैं किसी टुकड़े की तरह फेंके गये
तुम्हारे उस संदेश को अमृत मान ग्रहण करती रहूँ
खुद को धन्य समझती रहूँ
अब बस, बहुत हुआ
ये आखिरी संदेश बाद इसके
कल से तुमको कोई संदेश न भेजना हैं
चाहे तुम कितना भी क्यों न मना लो
या कितना भी अच्छा संदेश क्यों न भेजो ?
अब तुम्हारी मनमानी नहीं सहने वाली मैं
तुम्हारी उँगलियों के इशारों पर
कठपुतली से नहीं नाचने वाली मैं
तभी अचानक मोबाइल का स्क्रीन चमका
तुम्हारा नाम दिखाई दिया
जिसे देखकर लब मुस्कुरा उठे
सर्वांग में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी
फिर मैं सब भूल तुमसे बतियाने लगी
लेकिन, चंद दिन बाद
फिर वही संकल्प और कसम का दौर
फिर यही अंजाम कि
प्रेम का अहसास भी किस तरह
बड़ी आसानी से स्वाभिमान को खत्म कर देता
वो जो सबसे अकड़ते
सीधे मुंह बात तक न करते और
सड़ी-सड़ी सी बातों में जिनका अहं आहत हो जाता
वो भी प्रेम के आगे रीढ़विहीन हो जाते
उस असाध्य को पाने फिर एक बार जुट जाते ।।
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‘प्रेम’ ही वो औषध जिसने ये कायापलट किया और उसकी ‘लिटिल सिस्टर’ को जीना सीखा दिया कभी जिन अहसासों को वो महसूस नहीं कर पाती थी अपने ‘इगो’ के कारण अब उनको जी रही थी, ‘प्यार’ की लहरों संग बह रही थी... उसे उसकी चाहत मिल जाए ये दुआ कर वो कब हाथ उठा बैठी पता न चला... तो आसमान की तरफ देखकर बोली.. आमीन... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०२ फरवरी २०१८

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