गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018

सुर-२०१८-३८ : #प्रेमोत्सव_द्वितीय_दिवस_प्रपोज_डे


“मुझे तुमसे प्यार हैं...”

जितने प्यारे और सहज-सरल लफ़्ज हैं... ये उतने ही जादुई भी जो सुनने वाले को दिली ख़ुशी का अहसास ही नहीं कराते बल्कि, उसके भीतर आत्मविश्वास को बढ़ाकर उसके व्यक्तित्व में चमत्कारिक परिवर्तन भी करते हैं लेकिन, जितना इन्हें पढ़ना या लिखना आसान हैं उतना ही कठिन हैं किसी अपने से ये कहना और जब भी हम इसे बोलना चाहते न जाने कौन-सी अदृश्य बेड़ियाँ हमारे बढ़े कदमों को जकड़ लेती हैं न जाने संकोच या अहंकार के कौन-से धागे हमारे लबों को सिल देते कि कंठ तक आकर भी ये बात अधरों से निकल नहीं पाती और इन अल्फाजों के जरिये हम अपनों के भीतर स्नेह के रूप में जिस ऊर्जा का संचार कर सकते उसे अनजाने ही रोक देते अफ़सोस जिसका हमें पता तक नहीं चलता कि कब हम ही अपनों की सफ़लता के बाधक बन जाते और जब उन्हें हमारी सबसे अधिक जरूरत होती या जब उनको हमसे जुबानी प्रेम की दरकार होती तब ही हम खामोश रह जाते प्रेम के उफ़ान को रोक भीतर भी कुछ मार देते हैं

‘प्रेम’ सिर्फ़ एक अहसास नहीं मरहम भी होता जो बड़े-से-बड़े ज़ख्म और बड़ी-से-बड़ी तकलीफ़ को भूला देता इसलिये तो जब भी हमें कोई दर्द होता हम अपनों के पहलू में सिमट जाते और उनके स्नेहिल स्पर्श व चंद बातों से अपने खोये आत्मबल की पुनः पाकर दुबारा अपने कर्मपथ में जुट जाते ऐसे में यदि हम इन ‘मैजिकल वर्ड्स’ को भी बोल दे तो फिर उसके अंतर में जोश की जो लहरें हिलोरें मारने लगती उसके आगे हर इलाज़ फीका पड़ जाता हैं ऐसे में सोचे कि दुनिया में न जाने कितने लोग जो इस अहसासे कमतरी से गुजरते कि दुनिया में उनको प्रेम नहीं करता तो इस एक ख्याल से उनके भीतर न केवल आत्मविश्वास कम होता बल्कि नकारात्मकता की तरगें उनके रहे-सहे हौंसलों को भी तोड़ देती तो ‘प्रपोज डे’ पर यदि कोई उनसे भी ये कह दे तो शायद, उनको भी जीने की वजह मिल जाये तो ये सोचना कि ये सिर्फ प्रेमियों का ही दिन हैं एक गलत मानसिकता सच कहे तो ये सबका दिन हैं और हम अपने सभी रिश्तों को ‘आय लव यू’ कहकर खुशियाँ बाँट सकते हैं       
   
‘आय लव यू’ को हल्का बना देने वालों की वजह से इसकी अहमियत जरुर कम हुई हैं लेकिन, इसके मायने कम नहीं हुये केवल इसके प्रति धारणा बदल गयी जिसे पुनर्स्थापित करने का यही तरीका कि अपने-अपनों पर ये कहकर अपनी चाहत ज़ाहिर करें और इसका असर देखें कि, जिन बच्चों या रिश्तों को सुरक्षा का ये मजबूत घेरा मिलता उनमें कोई खूबी न भी हो तब भी वे मुश्किलों का सामना कर लेते कि उन्हें अकेलेपन में भी कभी तन्हाई का अहसास नहीं होता हमेशा ये लगता कि, कोई अपना ख़ास उनके साथ हैं... ‘प्रपोज डे’ की इसी ख़ासियत के साथ सबको इसकी दिली मुबारकबाद... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०८ फरवरी २०१८

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