शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

सुर-२०१८-४० : #प्रेमोत्सव_का_तृतीय_दिवस_चॉकलेट_डे


मुंह मीठा कराने की हमारे यहां पुरानी परंपरा रही हैं और यदि घर में कुछ भी मिष्ठान्न या मीठा न हो तो फिर गुड़ खिलाकर ही पानी पिलाया जाता था लेकिन, किसी भी आगंतुक के आगमन पर उसे केवल जल प्रस्तुत नहीं किया जाता था इसे अशिष्ट माना जाता था क्योंकि अकेले पानी पीना गले को लगता हैं परंतु, आधुनिक व्यवस्था ने हमारी इन तर्कसंगत सामाजिक रीति-रिवाजों पर इस तरह से कुठाराघात किया कि अब तो लोग पानी छोड़ सीधे कोल्ड ड्रिंक का ही सेवन कर कंपनी की जेबें भर अपनी सेहत को मटियामेट कर लेते हैं इसके बावजूद भी कुछ छोटे इलाके व् गाँव जो अभी इन गलत मानसिकताओं से बचे हुए वहां आप जायेंगे तो तश्तरी में आपको सिर्फ पानी अकेला नहीं दिया जायेगा कुछ न कुछ मीठा अवश्य साथ में होगा हमारी इन नब्ज को ही बाजार ने बड़ी अच्छी तरह पकड़ा और एक 'चॉकलेट' विज्ञापन ने तो अपनी कंपनी की सभी चॉकलेट्स के साथ हमारे मेहमान नवाजी के सूत्र ‘कुछ मीठा हो जाये’ को इस से जोड़ा कि अब नये जमाने में चॉकलेट्स ही मीठे का पर्याय बन गयी हैं

जिन्हें बनाने या पकाने से परहेज उनके लिए बड़ी सुविधा की चीज़ हो गयी कि 2 से लेकर हजारों रुपये तक की ये बाजार में उपलब्ध जिसे अपनी पॉकेट की साइज के अनुसार व्यक्ति खरीदता हैं और विज्ञापनों ने बेहद चालाकी से बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को इससे जोड़कर इसे सबका प्रिय उत्पाद बना दिया हैं इसमें इसकी सहज उपलब्धता व विभिन्न प्रकार के आकार-प्रकार ने इसे सबका मनचाहा बना दिया तो फिर प्रेमोत्सव इसके बिना किस तरह से पूर्ण होता इसलिये गुलाब देकर प्रपोज करने के बाद बात अगर जम जाती तो ‘चॉकलेट’ खिलाकर ही एक-दूसरे का मुंह मीठा किया जाता और इस तरह प्रेमोत्सव का तीसरा दिन चॉकलेट डे कहलाता हैं । 'चॉकलेट' या 'मिठाई' को यदि एक माने तो हम इसकी महत्ता समझ सकते कि जिस प्रकार उसके बिना खाना अधूरा समझा जाता उसी प्रकार रिश्तों में भी मिठास घोलने इसका जवाब नहीं ।

कोई रूठा हो या किसी भी बात पर किसी का मिजाज बिगड़ा हो और ऐसे में समझ न आ रहा हो कि बिना बोले उसे किस मनाया उसके मूड को सुधारे तो ‘चॉकलेट’ एक ऐसा उपाय जो मुंह में घुलते ही मस्तिष्क को तनावरहित कर होंठों पर मीठी मुस्कान लाता इसलिये थोड़ी मात्रा में इसे लेना हानिकारक नहीं परंतु, अपनी सेहत को समझते हुए यदि थोड़ी-बहुत खा ली जाये वो भी कभी-कभार तो इतनी बुरी भी नहीं क्योंकि इसकी कई अलग-अलग वेरायटी में अलग-अलग गुण होते जैसे ‘मिल्क चॉकलेट’ कैल्शियम से भरपूर तो ‘डार्क चॉकलेट’ में फैट कम तो वजन नियंत्रित रहता और ‘नट्स चॉकलेट’ से भरपूर जायका व आवश्यक तत्व मिलते तो इस तरह ये एकदम खराब चीज़ भी नहीं लेकिन, यदि आप घर पर ही इसे बना सकते हो या देशी मिठाईयां बनाना जानते हो तो खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी जैसा कि हमारे यहां ये भी माना जाता कि दिल का रास्ता पेट से होकर जाता तो उस मायने में भी ये काफी अचूक अस्त्र केवल इसे पति के दिल की जगह हर एक के दिल से जोड़ दे तब देखें कि प्रेम व भोजन किस तरह जीवन के आवश्यक पहलू बनते

प्रेम करने वालों को अक्सर ये कहना कि दाल-रोटी का भाव पता चलेगा तो प्रेम खत्म हो जाएगा उनको हकीकत से रूबरू करवाना हैं क्योंकि, केवल प्यार से जीवन न चलता बाकी मूलभूत जरूरतें भी उतनी ही महत्वपूर्ण जिसे प्रेमी जोड़े अक्सर नजरअंदाज कर देते तो प्रेम उत्सव में ‘चॉकलेट’ जोड़ना दरअसल उसी असलियत का अहसास करवाना हैं कि प्यार के साथ ये भी सोचे कि बाकी आवश्यकताओं की पूर्ति किस तरह होगी केवल ‘चॉकलेट’ खाकर ही तो नहीं जी सकते न ही गुलाबों के बीच रहकर या ‘आय लव यू’ सुनकर तो यहां चॉकलेट उसी अत्यावश्यक तत्व का प्रतीक जो प्रेम के अलावा भी जीवन में दरकार होता हैं । यदि युवा इस बात को समझ ले तो फ़िज़ूल ‘चॉकलेट’ खरीदना बंद कर केवल जब बेहद जरूरी हो तब ही इसे खरीदे और जीवन में आगे आने वाली जिम्मेदारियों के प्रति सजग हो जो धीरे-धीरे बढ़ती ही जायेगी... इसी संदेश के साथ सबको ‘चॉकलेट दिवस’ की मीठी-मीठी शुभकामनायें... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०९ फरवरी २०१८

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