रविवार, 4 फ़रवरी 2018

सुर-२०१८-३५ : #विश्व_कैंसर_दिवस_जागरूकता_से_करें_रोग_शमन



‘कैंसर’ एक ऐसा रोग या बीमारी अक्सर, जिसका नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं और रोग कोई भी हो वो न तो व्यक्ति, न उसका कद या पद देखता, न ही देश या समाज से उसे कोई सरोकार होता तो ऐसे में इसके विरुद्ध लोगों को लड़ने व जागरूकता फ़ैलाने के लिये २००५ से ‘विश्व कैंसर दिवस’ मनाया जा रहा हैं ताकि, संपूर्ण जगत के लोगों को इस महारोग के बारे में सही-समुचित जानकारी दी जा सके और वो इसे ‘हौवा’ समझकर भयभीत होकर इसके आगे अपने घुटने न टेक दे जिसका परिणाम कि अब ये उतना भयावह या असाध्य रोग नहीं समझा जाता जितना कि कुछ साल पूर्व समझा जाता था बल्कि, अब तो कुछ लोगों ने जिस तरह से इसको हराकर दुनिया के सामने अपनी अनुभवों को साँझा किया तो इसकी वजह से शरीर में बनी गाँठ भले ही उसी तरह से तकलीफ़देह हो लेकिन, इसके प्रति बनी इस धारणा की गठान कुछ ढीली पड़ी हैं कि ‘कैंसर’ एक लाइलाज़ मर्ज हैं

शुरूआती दौर में ये एक ‘चुप्पा बदमाश’ की तरह धीरे-से शरीर के किसी भी हिस्से को अपना निशाना बनाता फिर धीरे-धीरे संपूर्ण तन ही नहीं मन पर भी अपना जाल फैलाकर दोनों को कमजोर बना देता और जैसा कि हम जानते कि ‘मन के हारे, हार हैं... मन के जीते, जीत’ तो वही होता लोग जितना इस व्याधि से अपने जीवन को नहीं खोते उससे ज्यादा तो इससे होने वाले भय से अपने भीतर संचित शक्ति व ऊर्जा को भी खत्म कर देते हैं जिसकी वजह से इसे अपने पैर फ़ैलाने में अधिक सुविधा होती जिससे कि ‘जो डर गया, वो मर गया’ वाली कहावत चरितार्थ हो जाती मगर, जिसने इसके खिलाफ जंग छेड़ी अपने आपको मजबूत कर इसके विरुद्ध खड़ा हुआ तब कुछ देर तो उसे इसके कष्टप्रद इलाज के कारण परेशानी जरुर झेलनी पड़ती परंतु, अंततः इसे उसके शरीर को छोड़ दुम दबाकर भागना पड़ता जिसके अनेक जीते-जागते उदाहरण हमारे समक्ष अपनी सशक्त मौजूदगी व पूर्ण दम-ख़म के साथ उपस्थित हैं         

यदि इसके संदर्भ में अपने देश ‘भारत’ की बात करें तो ‘तंबाखू’, ‘धुम्रपान’, ‘मद्यपान’ जैसे हानिकारक व नशीले पदार्थों का सेवन करने और कुछ अपने शरीर के प्रति लापरवाही की वजह से भी हमारे यहाँ इसके रोगियों की संख्या अधिक हैं जिससे कि अमूमन इसका पता बड़ी देर से चलता तब तक ये अपनी सामान्य अवस्था से खतरनाक स्टेज तक पहुंच जाता तो उपचार भी कठिन होने के साथ-साथ संभवनाओं से परे हो जाता हैं इसलिये इस दिवस का यही उद्देश्य कि सभी लोगों में इसके प्रति जागृति आये और वे समय-समय पर अपना चेकअप करवाये जिससे कि इससे ग्रसित व्यक्ति समय पूर्व ही इसके प्रति सचेत होकर सजगता के साथ अपने इलाज के लिये शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार हो सके और वे जो इतने सक्षम नहीं कि इसका खर्च वहन कर सके उनके लिये भी सामाजिक संगठनों व अपने आस-पास के दायरे से अनुदान की व्यवस्था करें तो फिर इसे समूल नष्ट करना रोग-विज्ञान से इसका नाम मिटाना कोई असंभव कार्य नहीं होगा बस, संकल्प लेने की देरी हैं
       
आज ‘विश्व कैंसर दिवस’ पर यही शपथ लेना हैं कि दूसरों को इसके प्रति सजग करना हैं और जिन्हें इसने जकड़ा हुआ उनका आत्मबल बढ़ाकर इससे मुक्त कराना हैं... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०४ फरवरी २०१८

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