मौसम ने ली
अंगड़ाई
वसुधा ने ओढ़ी
पीली चादर
और, चली
बसंती बयार
तो झूमकर ऋतू
बसंत आई...
फूले पलाश-टेसू
सरसों भी खिल
मुस्काई
बोले पपीहा-कोयल
अमिया भी गई
बौराई
तो झूमकर बसंत
ऋतु आई...
कुदरत की ये छटा
तन-मन में हर्ष
अपार लाई
देख कर ये
सुंदरता
कली-कली
खिलखिलाई
तो झूमकर बसंत
ऋतु आई...
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© ® सुश्री
इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०६ फरवरी २०१८
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