सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

सुर-२०१८-५७ : #अनुरोध


सोच न,
इतना तू मुझे
कि तेरे बहते अश्क़
मेरी आँखों में उतर आये ।
...
तेरा दर्द
तेरी तकलीफ़
मेरे खून-ए-ज़िगर में
धडकन की तरह समा जाये ।
...
तेरे ख्याल
तेरी आरजूयें
मेरी इन आँखों में
बनकर स्वपन पल जाये ।
...
तेरा अक्स
तेरा हर नक्श
मेरे अपने वजूद में
कतरा-कतरा पिघल जाये ।
...
मैं ना रहूँ मैं
तू भी ना रहे तू
घुल जाये इस तरह
कि दहाई इकाई बन जाये ।
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२६ फरवरी २०१८

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