बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

सुर-२०१८-५९ : #राष्ट्रीय_विज्ञान_दिवस_कैसे_हो_सफ़ल?


आज से ९० वर्ष पूर्व १९२८ में भारतवर्ष की पावन भूमि पर जनम लेने वाले एक वैज्ञानिक प्रोफेसर ‘चंद्रशेखर वेंकट रमन’ ने २८ फरवरी को एक ऐसी अद्भुत खोज को अंजाम दिया जिसकी बदौलत कणों की आणविक और परमाणविक संरचना का पता लगाना आसान हो गया और उनके इस अनुसंधान को रमन इफेक्ट’ या ‘रमन प्रभावके नाम से जाना गया  और उनके इस अभूतपूर्व कार्य के लिये उन्हें 1930 में ‘नोबेल’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया उस समय तक भारत या एशिया के किसी व्यक्ति को भौतिकी का नोबल पुरस्कार नहीं मिला था तो इस तरह उन्होंने अपने ज्ञान का सार्थक उपयोग करते हुये देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर ये बता दिया कि इस धरती पर सदैव ऐसे परम ज्ञानियों ने जन्म लिया जिन्होंने इसे ‘विश्वगुरु’ का दर्जा दिलवाया फिर चाहे ज्ञान, धर्म, कला, साहित्य, राजनीति, अर्थशास्त्र, या विज्ञान का ही क्षेत्र क्यों न हो यहाँ के लोग कभी पीछे न रहे

इसमें एक गौरतलब बात ये भी हैं कि हमारे यहाँ जितने भी बड़े-बड़े अविष्कार किये गये या जितने भी बड़े-बड़े ग्रंथ लिखे गये या जितने भी असाध्य कार्य किये गये उन दिनों हमारे यहाँ सुविधायें उतनी अधिक नहीं थी और न ही साधन जुटाना ही इतना आसान था फिर भी लोगों ने जो भी कार्य करने का संकल्प लिया उसे हर हाल में पूर्ण किया क्योंकि उसे करने के लिये उनके मन में अटूट लगन व मजबूत इच्छाशक्ति ही नहीं अपने देश को समृद्ध व् शक्तिशाली बनाने की भावना भी थी इसका परिणाम ये हुआ कि कितनी भी बाधाएं या कठिनाई उनके मार्ग में आई वे पीछे नहीं हटे और न ही उन्होंने अपने लक्ष्य को बदला इसलिये उनकी अनवरत साधना ने उनको उनकी मंजिल तक पहुंचाया और उनकी कहानियों ने आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर कुछ अनोखा और नया करने का जुनून दिया मगर, उन्हीं को जिनके भीतर कुछ कर गुजरने की चाहत थी वरना, कहानियां पढ़ने वाले तो अनेक थे

आज के समय में देखें तो तकनीक की वजह से सब कुछ बेहद आसान फिर भी हमारे यहाँ उतना काम नहीं हो रहा कि ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर फ़िज़ूल की बातों में लगे हुये जो निरर्थक बातों की दिन-रात खाल निकालकर चीर-फाड़ करते रहते और अनमोल समय को बेवजह गंवाते जिसका नतीजा कि जिस वक़्त में कोई जरूरी काम या विशेष अविष्कार किया जा सकता हमारे देश के युवा किसी नायिका के आँख मारने की क्लिप को हजारों दफा देखते  और रातो-रात उसके करोड़ों फालोवर बनकर उसे गूगल पर सर्वाधिक सर्च की जाने वाली हस्ती व उसके विडियो को मोस्ट वायरल विडियो बना देते जो साबित करता कि युवाओं का अधिकांश समय इस प्लेटफार्म पर गुजर रहा ऐसे में दिशा सही हो तो ये निश्चित ही देश को कुछ नूतन खोज देकर उसे विकासशील देशों की दौड़ में आगे कर सकता तब ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ मनाया जाना सार्थक होता और ‘वेंकट रमन’ की आत्मा भी अपने देश के नवजवानों की तरक्की देखकर जरुर कहती... जियो... नॉट... Jio ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२८ फरवरी २०१८


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