मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

सुर-२०१८-५८ : #आज़ाद_जिये_आज़ाद_मरे_चंद्रशेखर_आज़ाद


२३ जुलाई १९०६ को गुलाम भारत में जरुर जन्मे ‘चंद्रशेखर’ लेकिन, महज़ १४ साल की उम्र में ही उन्होंने अपने नाम के साथ ‘आज़ाद’ जोड़ अपने इरादे ज़ाहिर कर दिये कि भले फिरंगी सरकार ने देश को अपने कब्जे में ले रखा हैं लेकिन, उनका मन उनकी हुकूमत से बाहर हैं जिस पर किसी का भी हुकूम नहीं चलता वहां वे अपनी मनमर्जी के अकेले राजा हैं तो अपनी इस रियासत की बागडोर उन्होंने आखिरी साँस तक अपने ही हाथों में थामे रखी उसी शानो-शौकत से उन्होंने अपना जीवन जिया फिर जब उसे आज के दिन अलविदा भी कहा तो अपनी ही इच्छा से क्योंकि ये संकल्प उन्होंने पहले ही ले लिया था कि कभी ऐसी स्थिति आ ही गयी जब उन्हें महसूस हो कि अंग्रेज उन्हें बंदी बनाना चाहते हैं तो उनके हत्थे चढ़ने से पहले ही वे अपनी आत्मा को देह से मुक्त कर पूर्ण स्वतंत्र हो जायेंगे तो वही किया उन्होंने मगर, अपने आपको उनकी कैद में आना मंजूर नहीं किया

ऐसे जज्बे को सलाम उस सोच और उसे साकार करने के लिये जिस अदम्य इच्छाशक्ति का उन्होंने परिचय दिया उसको भी नमन क्योंकि, आज के समय में तो लोगों के लिए जीवन इतना महत्वपूर्ण कि वो गुलाम बनकर भी जीने को तैयार यहाँ तक कि किसी अदाकारा का तो ये तक बयान आया कि वे यदि ‘सेक्स स्लेव’ बनकर भी जीना पड़े तो भी वे जीवन को ही चुनेंगी याने कि जिल्लत भरी जिंदगी से कोई गुरेज नहीं जबकि, ये ज्यादा पुरानी बात नहीं आज से केवल ११० साल पहले के युवाओं की सोच थी कि देश को आज़ाद करने की खातिर अपना सब कुछ चाहे वो सबसे कीमती चीज़ जान ही क्यों न हो उसे भी गंवा देंगे लेकिन, गुलामों की तरह जिल्लत की जिंदगी का चुनाव कभी नहीं करेंगे तो वे और उनके दोस्त सभी ने मौत को सामने देखकर भी अपने इरादों को हल्का नहीं पड़ने दिया बल्कि मुस्कुराते हुये फांसी के फंदे पर झूल गये ताकि आने वाली पीढियां स्वतंत्र हो सके  

आज के युवाओं में जीवन के प्रति इस तरह की निम्न मानसिकता व सोच के गिरते स्तर को देखते हुये उन वास्तविक नायकों का स्मरण अधिक प्रासंगिक जिन्होंने हर तरह के लालच और हर तरह की सुविधाओं को ठुकराकर यहाँ तक कि जिस ‘आज़ादी’ के लिये वे लड़ रहे या अपनी जान देने को तैयार थे ये भी निश्चित था कि उसे भोग नहीं पायेंगे लेकिन, निःस्वार्थ भाव से अपनी भारतमाता और अपनी जन्मभूमि के प्रति समर्पित पवित्र आत्मायें इस तरह की सोच न रखकर सिर्फ अपने कर्तव्य का निर्वहन करती तो ऐसे ही ‘चंद्रशेखर आज़ाद’ ने भी किये अपनी अंतिम साँस तक अपने वतन के लिये त्याग अपनी धरती माँ की गोद में सो गये आज उनके बलिदान दिवस पर मन से नमन... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२७ फरवरी २०१८


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