बुधवार, 11 अप्रैल 2018

सुर-२०१८-१०१ : #पाने_देश_की_आज़ादी #आगे_आई_कस्तूरबा_गाँधी




‘मोहनदास करमचंद गाँधी’ को तो हमने ‘महात्मा’ और ‘राष्ट्रपिता’ या ‘बापू’ न जाने कितने नाम दे दिये लेकिन, जिनकी वजह से उन्होंने ये आदमकद और मुकाम पाया उन ‘कस्तूरबा’ को सहज ही भूला दिया या कभी याद किया भी तो महज़ उनकी सह-धर्मिणी या अर्धांगिनी के रूप में जबकि, उनका अपना स्वतंत्र अस्तित्व, अपनी पृथक पहचान और एक अलहदा शख्सियत थी जिसकी वजह से वो ‘गांधीजी’ के साथ होते हुये भी अपने उस आत्मविश्वासी व्यक्तित्व के कारण भीड़ में भी अलग दिखाई देती थी

उनके इस प्रभावशाली व्यक्तित्व का ही प्रभाव था कि उस दौर में जबकि स्त्रियों का घर से बाहर निकलना या कोई काम करना इतना सहज-सरल नहीं था उसके बावज़ूद भी उनकी अगुवाई में तमाम महिलायें अपनी चारदीवारी को छोड़ दहलीज लाँघ जंग के मैदान में उतरी चाहे फिर वो किसी स्वदेशी आंदोलन के लिये लगाई गई गुहार हो या फिर स्वाधीनता की लड़ाई में हिस्सा लेने की बात उन्हें ‘बा’ के नेतृत्व पर भरोसा था तो अंग्रेजों से भी नहीं डरी यहाँ तक कि जेल जाने से भी न घबराई

जो ये दर्शाता कि ‘गांधीजी’ की छत्रछाया में रहते हुये भी उन्होंने अपने स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं किया और जब उन्हें लगा कि देश या समाज को उनकी आवश्यकता हैं तो वो स्त्री की आवाज़ बनकर सामने आई जिसके पक्ष में सारी स्त्रियों ने उनका साथ दिया क्योंकि, नारी शक्ति जिस तरह से किसी भी अभियान को उसके अंजाम तक पहुंचा सकती थी वैसा पुरुषों के लिये भी संभव नहीं था इसलिये उन्होंने उन सभी मुहिमों में बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया जिन्हें संभालना पुरुषों के लिये मुश्किल था

इस तरह से महिलाओं ने यदि स्वाधीनता संग्राम में जागरूकता अभियानों का मोर्चा संभाला तो वीर सपूतों ने फिरंगियों से दो-दो हाथ किये तब जाकर हमने आज़ादी पाई फिर भी जब कभी बलिदानियों का जिक्र हो या शहीदों की जयंती/पुण्यतिथि तो जिस तरह से उनके लिये आयोजन किये जाते वैसा इन महिला नेत्रियों के लिये कम ही देखने में आता इसका कारण शायद, यही हो कि उनमें से बहुत-सी स्त्रियों ने अप्रत्यक्ष रूप से परदे के पीछे रहकर अपना काम किया तो उनके द्वारा की गयी देश सेवा को गौण समझा गया हो

परंतु, हमें नहीं भूलना चाहिये कि सभी महान व्यक्तियों की महानता को नींव के पत्थरों से ही हौंसला मिलता जिनके बगैर उनकी प्रसिद्धि की वो ईमारत बनना संभव नहीं इसी तरह ‘महात्मा गाँधी’ के सामान्य कद को विशालकाय बनाने में उनकी पत्नी ‘कस्तूरबा’ का बहुत बड़ा योगदान जिन्होंने उनके हर छोटे-बड़े अभियानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जो भी उनके वश में रहा उसे हर तरह से पूर्ण किया आज उनके जन्मदिवस पर कोटि-कोटि प्रणाम और ये शब्दांजलि... मन से नमन... ☺ ☺ ☺ !!!
       

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
११  अप्रैल २०१८

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